Friday 18 October 2013

यादोँ के झरोँखोँ से-

एक प्रयास -------

 आज विज्ञान ने चंदा की सच्चाई तक तो पहुँचा दिया है लेकिन भावनाओँ से जुड़े चंदा मामा आसमान से विलुप्त हो चुके हैँ , 

न तो मामा अब दूर रहे और न ही अब पुये पकते है ! आज शरद पूर्णिमा के दिन कुछ यादोँ ने घेर लिया -- 

शाम को चिड़वे की खीर बना कर माता श्री धवल चाँदनी मेँ रखती थीँ और भगवानजी भी श्वेत वस्त्र धारण कर चाँदनी का लुत्फ उठाते थे ,





हम सब आँगन मेँ चटाई बिछा कर चाँद की रोशनी मेँ सुई पिरोया करते थे , 
बार-बार धागा निकाला और फिर पिरोया , कोई 50 , कोई 70 बार और कोई 100 बार , होड़ लगी रहती थी आगे निकलने की ॥ 

...........कहते थे इससे आँखोँ की रोशनी तेज़ होती है  
...........................आज ना चाँद और न ही चाँदनी , क्या दिन थे


शरद पूर्णिमा के अवसर पर सभी मित्रोँ को शुभकामनायेँ ।

कहाँ-कहाँ मिली खज़ाने की अकूत संपदा

एक प्रयास ---------


खज़ाना
भारतीय पुरातत्व विभाग का एक दल उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में शुक्रवार को खुदाई शुरू कर देगा. यह खुदाई कथित रूप से शोभन सरकार नामक एक साधु के एक सपना देखने पर आधारित है.
इस साधु ने सपना देखा था कि राजाराव रामबक्श के किले के खंडहर में एक हज़ार टन सोना दबा हुआ है. जबकि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने यहाँ जमीन के नीचे भारी मात्रा में किसी धातु के दबे होने की पुष्टि की है.

श्री पद्मानाभास्वामी मंदिर
भारत में पहले भी इस तरह खज़ाने मिलने की बात जब-तब सामने आती रही हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ चर्चित मामलों के बारे में.
फरवरी, 2012 के में केरल के तिरुवनंतपुरम में 16वीं सदी के श्री क्लिक करेंपद्मानाभास्वामी (विष्णु) मंदिर के दो भूमिगत तहखानों से अरबों रुपए के कीमती हीरे, सोना और चांदी बरामद हुई थी.
इस मंदिर को 16वीं सदी में त्रावनकोर के राजाओं ने बनवाया था. स्थानीय लोकगाथाओं में ज़िक्र है कि मंदिर की दीवारों और तहखानों में राजाओं ने ख़ासे हीरे- जवाहरात छिपा दिए थे.
देश में भगवान विष्‍णु के मशहूर मंदिरों में शुमार इस मंदिर में नौ सौ अरब रुपए की कीमत का खज़ाना होने की बात कही जा रही थी.
रिपोर्टों के मुताबिक मंदिर के खज़ाने को सूचीबद्ध करने के लिए विशेष रुप से विकसित किए गए डिवाइस का इस्तेमाल किया गया था.
माना जाता है कि श्री पद्मानाभास्वामी (विष्णु) मंदिर के चार में से दो तहखानों को पिछले 130 वर्षों से खोला नहीं गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सात सदस्यों की एक समिति को इनमें दाख़िल होने और वहाँ मौजूद चीज़ों का आकलन करने का आदेश दिया था.
अनाधिकारिक आकलन के मुताबिक चार दिन के निरीक्षण में पाई गई चीज़ों की कीमत करीब 25 अरब रुपए थी.
लेकिन इतिहासकारों का कहना है कि इन चीज़ों की असल कीमत बता पाना बहुत ही मुश्किल है.

हैदराबाद में खज़ाना---------------


फरवरी, 2012 ही में हैदराबाद में पुरातत्व विभाग ने कथित ख़जाने की खोज में एक स्कूल के पास से अंधाधुंध खुदाई की लेकिन क्लिक करेंखज़ाना मिलना तो दूर एक कौड़ी भी नहीं मिली.
जिस पहाड़ी पर खुदाई की जा रही थी उसे नौबत पहाड़ के नाम से जाना जाता है जिस पर मशहूर बिरला मंदिर बना हुआ है. राज्य सचिवालय भी इस मंदिर से नजदीक ही है.
चन्ना रेड्डी की अगुआई में बड़ी गंभीरता से खुदाई कर रहे पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भरोसा था कि यहाँ एक गुफा और ख़जाना निकलेगा.
लेकिन स्थानीय लोग और अन्य पुरातत्व विशेषज्ञ इस प्रयास का मज़ाक उड़ा रहे थे. उनका कहना था कि इस जगह पर कभी कोई गुफा नहीं थी.
खुदाई वाली जगह पर वानपर्ति संस्थान का मालिकाना हक़ है. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की संयोजक अनुराधा रेड्डी इस खुदाई से नाराज़ भी हुईं थीं.
आंध्र प्रदेश के पुरातत्व विभाग के मंत्री वट्टी वसंत कुमान ने भी खुदाई वाली जगह का मुआयना किया था.
अधिकारियों ने खुदाई की जगह तीन बार बदली लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.
श्री पद्मानाभास्वामी (विष्णु) मंदिर के दो भूमिगत तहखानों से अरबों रुपए के कीमती हीरे, सोना और चांदी बरामद हुई थी.

बिहार के भरतपुरा में खज़ाना-------------------

बिहार के भरतपुरा गाँव में दिख रहे ऊंचे टीले पर निजी मकान के एक हिस्से में दुर्लभ पांडुलिपियों के अलावा अति प्राचीन सिक्कों और कलाकृतियों का अदभुत संग्रह हो सकता है.
भरतपुरा लाइब्रेरी के नाम से जाने जा रहे इस छोटे-से संग्रहालय की सुरक्षा तब से बढ़ा दी गई, जब चार दशक पहले यहाँ से चुराई गई कुछ बहुमूल्य कृतियों को सीबीआई ने बड़ी मुश्किल से बरामद किया था.

जयगढ़ का खज़ाना

ऐसा माना जाता है जयपुर के राजा मान सिंह प्रथम ने अपना अकूत खज़ाना सम्राट अकबर से बचाकर जयगढ़ के किले में छिपा दिया था.
स्थानीय पूर्वजों के अनुसार राजा मान सिंह ने यह खज़ाना भूमिगत कुंओं में छिपा दिया था. कहा जाता है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल के वक्त जयगढ़ के किले में खुदाई का आदेश दिया था.

उस वक्त विपक्षी दलों ने इंदिरा गाँधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली-जयपुर मार्ग जनता के लिए बंद कर दिया था और किले में मिले खज़ाने को सेना के ट्रकों में लादकर प्रधानमंत्री निवास ले जाया गया था.
हालाँकि अभी तक इस बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिली है कि मानसिंह का खज़ाना था भी या नहीं, और अगर था तो यह अभी भी जयगढ़ के किले में ही छिपा है या निकाल लिया गया है?

कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर का खज़ाना--------------

जनवरी 2010 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के महाखज़ाने ने सबकी आँखें चौंधिया दीं थीं.
करीब 900 साल पुराने इस मंदिर में खज़ाने की गिनती के दौरान बेशुमार करोड़ों के हीरे- जवाहरात औऱ आभूषण पाए गए थे.
कहा जाता है कि मंदिर में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक ने चढ़ावा चढ़ाया था.
यह मंदिर 27 हजार वर्गफीट में फैला हुआ है. आदि शंकराचार्य ने महालक्ष्मी की मूर्ति की मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की थी.

Sunday 13 October 2013

काश ! काश !! ऐसा हो पाता ।

एक प्रयास --------
कितना अच्छा होता समय का चक्र पीछे घूम सकता तो कुछ गलत लिये निर्णय सुधार पाते , काश ! काश , ऐसा हो पाता ।

सही है न ?

एक प्रयास ---------समय के साथ संघर्ष का स्वरुप ,उसकी परिभाषा निर्धारित होती है  

कभी मत पूछना कौन राम , कैसे राम

एक प्रयास ---------

दिल्ली के सुभाष मैदान में पीएम की मौजूदगी में हुआ रावण दहन---

अब हम भी साक्षी हैं सोनिया जी और मनमोहन जी

कभी मत पूछना कौन राम , कैसे राम .............!!!!!!!!!!!!!!!

आज के रावण

एक प्रयास ---------

आज के रावण 'भ्रष्टाचार और महंगाई' 

दस सर भ्रष्टाचार के ........और साथ में महंगाई .............
बस इन्हें मिटाना है ,vijay दशमी ये जल जाए तो सच में vijay पा जाएँ 
सबको शुभकामनाएं मित्रों .........जय श्री राम

हार्दिक शुभकामनाएं ..

एक प्रयास ---------

आज के ही दिन विजय दशमी के अवसर पर 1925 में संघ की स्थापना पूजनीय डा केशव राव बलिराम हेडगवार ने की थी। 
88 वर्ष के लंबे कालखंड में संघ ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया है
हार्दिक शुभकामनाएं ............
......
Photo: आज के ही दिन विजय दशमी के अवसर पर 1925 में संघ की स्थापना पूजनीय डा केशव राव बलिराम हेडगवार ने की थी। 
88 वर्ष के लंबे कालखंड में संघ ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया है
हार्दिक शुभकामनाएं ..................:)

Sunday 6 October 2013

बड़ा सवाल कब जागेगा भारत स्वाभिमान ..????????

एक प्रयास ---------
दशहरा बनाम राष्ट्रमंडल बैटन रिले रेस ----------!!!

आज़ादी का दम भरने वाले भारतीयों के लिए १९४७ से पहले वाले
आकाओं (अंगेजों) का पैगाम ......!!!!

स्काटलैंड के ग्लासगो शहर में 23 जुलाई से होने वाले वर्ष 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय नौ अक्टूबर को लंदन के बकिंघम पैलेस में बेटन रिले को लांच करेंगी. इसके बाद इसका पहला पड़ाव भारत ही रखा गया है.

भारत के बाद बेटन को 16 अक्टूबर को ढाका पहुंचना है.

हमारे यहाँ उस दिन दशहरा है .........क्या करें समझ से बाहर है ???
बड़ा ही लाचार अनुभव कर रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे ....!!!!

और सबसे ज्यादा अपमानजनक बात ये है कि इस कार्यक्रम को तय करते समय ना ही भारत को शामिल किया गया और ना ही पूछा गया बस फैसला लिया और थोप दिया ........

जानते हैं मन से तो आज भी हमारे गुलाम हैं वो ............
और ये भी मालूम है इस देश में कोई विरोध नहीं करेगा !!!

अगर वो अपनी श्रेष्ठ मानसिकता से घिरे हैं तो हम भी अपनी दासता से कहाँ आज़ाद हो पाए ..........!!!

क्यों हम आज भी राष्ट्रमंडल खेलों का भागीदार बने हैं ........???
क्यों नहीं नाम वापस लेते कितने ही देश अपने स्वाभिमान के साथ अलग हो गए हैं ...तो हम क्यों अभी तक अपनी गुलाम मानसिकता से अलग नहीं हो पा रहे हैं ......??

आश्चर्य की बात है 66 साल बाद भी १९४७ से पहले की सोच से अलग नहीं हो सके ....आखिर कितनी पीढ़ी इस दासता को झेलेंगी ...??????

हालंकि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के कार्यवाहक अध्यक्ष वीके मल्होत्रा ने ब्रिटेन स्थित कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के मुख्यालय को चिट्ठी लिखकर बेटन के भारत में पड़ाव संबंधी चिंताओं से अवगत कराया है.

पर माना जा रहा है कि ब्रिटेन स्थित कामनवेल्थ गेम्स फेडरेशन
शायद ही इस प्रोग्राम में कोई तब्दीली करे क्योंकि उसने बेटन रिले के समूचे कायर्क्रम को अंतिम रूप देकर संबंधित देशों को सूचित भी कर दिया है.
इसके मद्देनजर व्यवस्थाएं भी हो चुकी हैं जिन्हें बदलना अब उसके लिए कठिन होगा.

अगर ऐसा होता है तो इससे अपमान जनक बात नहीं हो सकती ............
लेकिन जब तक अपना सम्मान करना नहीं सीखेंगे दूसरा तो आपको हेय द्रष्टि से ही देखेगा
क्या भारत की नियति यही है ....??......
बड़ा सवाल कब जागेगा भारत स्वाभिमान ..????????