एक प्रयास ---------फेस बुक पर कई मित्रों की पोस्ट देखती हूँ आज-कल जो आज़ाद भारत की विदेशी सरकार और लोकतंत्र के राजवंशीय परिवार के अंध समर्थक हैं |
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक सम्प्रदाय को खूब वोट बेंक बनाया जा रहा है उनके लिए करना कुछ नहीं बस उनकी भावनाओ को भड़काना है और फिर मरहम लगाना है |
साठ सालों में कुछ नहीं किया अब नौकरी देंगे , ये करेंगे , वो करना चाहते हैं .........!!!!!
मुझे समझ नहीं आता राजवंश के अंध-भक्त लोग सोचने -समझने की शक्ति गँवा बैठे हैं क्या ??
उन्हें कुछ लेना -देना नहीं कि देश रसातल में जा रहा है
पिछले दस सालों में तो ज़मीन -आकाश , जल - पाताल सब खा गए .........
लेकिन भक्त अभी भी चरणों में झुकने को तैयार हैं , आरती उतारने को तैयार हैं
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक सम्प्रदाय को खूब वोट बेंक बनाया जा रहा है उनके लिए करना कुछ नहीं बस उनकी भावनाओ को भड़काना है और फिर मरहम लगाना है |
साठ सालों में कुछ नहीं किया अब नौकरी देंगे , ये करेंगे , वो करना चाहते हैं .........!!!!!
मुझे समझ नहीं आता राजवंश के अंध-भक्त लोग सोचने -समझने की शक्ति गँवा बैठे हैं क्या ??
उन्हें कुछ लेना -देना नहीं कि देश रसातल में जा रहा है
पिछले दस सालों में तो ज़मीन -आकाश , जल - पाताल सब खा गए .........
लेकिन भक्त अभी भी चरणों में झुकने को तैयार हैं , आरती उतारने को तैयार हैं
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