Friday 21 May 2021

चासनाला त्रासदी

अभी-अभी जितेंद्र जी की वाल पर चासनाला के विषय में पढ़ा तो उस दुःखद घटना ने मुझे भी कई बातें लिखने को बाध्य किया

नही लिखती ये सब परन्तु मुझे वो सब स्मरण हो आया ,
 हम छोटे थे और जब समाचार पढ़ते थे और उन परिवारों की पीड़ा हावी हो जाती थी बाल मन पर 
और बहुत बुरा लगता था 😥😥

तब राजनीति की कोई न समझ थी न पता था, बस दुख था उन लोगों के लिए
जितेंद्र जी का लेख पढ़ कर मन हुआ , कुछ लिखूं
---------------------------------------------------
आज की आपदा में अव्यवस्था की बात करने वाले टूलकिट के सदस्य, विशेष तौर पर 
मंदबुद्धि कुमार इटैलियन माता , पिंकी दीदी के साथ 
चासनाला खान दुर्घटना याद करे 

1975 में हुई कोयला खान दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए थे जो शायद दैनिक वेतन पर काम करते होंगे
खान में पानी भर गया और कार्यरत व्यक्ति वहीं फंस गए

तब केंद्र में इंदिराजी और बिहार में कॉंग्रेस ही सत्ता में थी
(तब बिहार और झारखंड एक ही थे)

मंदबुद्धि को पता होना चाहिए, उस समय सबका जमावड़ा चंडीगढ़ में था
इंदिराजी, जगन्नाथ मिश्र, और भी कई मंत्री सब चंडीगढ़ मे थे 
कोई सम्मेलन था या जो भी था 🙄

मंदबुद्धि कुमार के शब्दों में तो वो ,सैर-सपाटा था
तो पिंकी दीदी, दादी भी खूब सैर-सपाटे करती थीं
सीधे शब्दों में कहें तो

 खान में पानी भरा था और जगन्नाथ मिश्र और इंदिराजी अपने मंत्रियों के साथ चंडीगढ़ में परांठे खाने में व्यस्त थीं 😏😏

1947 के बाद 1975 तक भी देश मे खान से पानी निकालने की कोई ऐसी व्यवस्था नही थी कि 
जलमग्न हो गए उन प्राणियों को सुरक्षित निकाला जा सके
क्या कर रहे थे करीब 30 वर्षों से देश के प्रधान मंत्री ??
पानी निकालने की कोई तकनीकी व्यवस्था भी नही कर पाए 😡😡
 
तत्कालीन इंदिरा सरकार ने कोई व्यवस्था सोची भी नही
मैं छोटी थी लेकिन रोज़ पढ़ते थे कि कैसे करीब 400 प्राणी तड़प-तड़प कर प्राण त्याग रहे होंगे
कुछ पता ही नही था कि अंदर की क्या स्थिति है 😢😢

375 लोगों ने प्राण त्याग दिए 🙏🏼🙏🏼
महीनों तक खान से पानी निकाला जाता रहा 
जिसमे पोलैंड और रूस की सरकार सहायता के लिए आगे आईं
अगर वो लोग साथ न देते तो हो सकता है ये पानी 2013 तक निकला जाता रहता 😡😡

महीनों बाद सड़े-गले शव हैलमेट के नम्बर से पहचाने गए
संसार की बड़ी त्रासदी में से एक थी चासनाला खान दुर्घटना
😥😥

मंदबुद्धि एवम परिवार को दादी, पापा व दादी के पापा के काले कारनामों से भी अवगत होना चाहिए

आपदा 2020-2021 में ही नही आईं
भोपाल कांड, चासनाला कांड, कश्मीर त्रासदी
1984 में बड़े पेड़ गिरने से हुई त्रासदी
2013 केदारनाथ त्रासदी

पहले भी देश मे बहुत कुछ हुआ है और अव्यवस्था  इतनी रही कि स्थिति को कभी भी सम्भाला नही जा सका

आज की व्यवस्था देख कर ही उस समय की अव्यवस्था स्मरण हो आयी
अंतर साफ दिखाई दे रहा है
व्यवस्था और अव्यवस्था का 👍

सोच-समझ कर बोलो मुन्ने नही तो
शेखचिल्ली ने खिचड़ी को खा-चिड़ि कर अपना ही नुकसान किया था 

(वैसे इनसे तो यह भी कहना व्यर्थ ही है 😊😊)

😏😏

#ToolkitVirus
#CongressToolkitExposed

1 comment:

  1. कभी खा चिड़ी कभी उड़ चिड़ी से राम जाने जाने कब बाहर आएंगे

    ReplyDelete

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .......
आपके विचार हमारे लिए अनमोल है .............