Tuesday 16 August 2016

अच्छे दिन की परिभाषा

एक प्रयास ---------अच्छे दिन की सबकी परिभाषा हो सकती है मेरे लिए 
सबसे अच्छा रहा शपथ ग्रहण के बाद मोदीजी का गंगा आरती में शामिल होना ,जेएनयू के गद्दारों का खुलासा ,कश्मीर में सेना को आत्म रक्षा हेतु मिले अधिकार ,कई स्कूलों में होने वाले राष्ट्रगान के अपमान का खुलासा , वीर सावरकर को राष्ट्र का पहली बार नमन , लाल किले का केसरिया होना और सबसे बड़ी बात देश भक्ति का नकाब ओढ़े सलमान खुर्शीद के मन की बात का सामने आना | मेरे अच्छे दिन तो ऐसी ही घटनाओ से परिभाषित होते हैं 
आपके ??

रोमांचक संस्मरण

एक प्रयास ---------
14 और 15 के दो दिन यात्रा में बीते ! बेहद रोमांचक और उत्साही रही जाते वक्त कुछ सड़क समस्या रही रामपुर से रुद्रपुर तक बेहद खराब सड़क लेकिन लौटते वक्त वो मलाल भी मिट गया 
गढ़  के बाद से ही कांवरियों की भीड़ नजर आयी जो रामपुर तक हमारे साथ रही  यानी माहौल शिवमय  हो चला था

पूरे रास्ते मिली गाड़ियों पर तिरंगे लहर-लहर कर भारतीय होने की गौरवमयी अनुभूति करा रहे थे हमने भी तिरगे की छत्र-छाया में यात्रा की 
हमे अवसर मिला देवभूमि उत्तराखण्ड जाने का गन्तव्य था 'कैंची धाम बाबा नीब करौली का आश्रम' !!
जो अनुभव रहा वो ये कि
पहाड़ों पर पर्यावरण , ईमानदारी और भोलापन सभी में अभी शुद्धता है बदलाव की बयार तो सब जगह चल पड़ी है लेकिन वो अभी प्रकृति के निकट है तो कुछ है जो अलग है 
बेहद बारिश थी 14 को तो बहुत ही तेज़ इसके बीच पहाड़ी रास्ते पर अर्पित की ड्राइविंग रोमांच से भरी रही |
15 को भुवाली की ठण्डी सुबह 'वन्दे मातरम् और भारत माता का जयघोष' सुनाई दिया दिखा कुछ नही 
 शायद स्कूली बच्चे थे प्रभात फेरी हो सकती है मैंने अनुमान लगाया |
हमने टीवी पर झंडा फहराया थोडा मोदीजी को सुना लेकिन समयाभाव के कारण पूरा नही सुन पाये आज समाचार पत्र से पता लगाने का प्रयास रहेगा क्या कहा हमारे प्र मंत्री ने ?
कैंची धाम गए बेहद शान्त, साफ़-सुथरा इलाका बहुत अच्छा लगा ,
 उसके बाद नैनीताल की देहरी भी छूई पर बारिश इतनी तेज़ थी कि गाइड के बताने के बाद भी घाटियों और चोटियों पर सिर्फ धुंध ही नज़र आई लेकिन दो दिन बड़े ही अच्छे और तनाव मुक्त बीते,
वापसी में कुछ झरने वेग से बहते दिखे पारदर्शी जल के साथ |शिवानीजी की रचना में 'कालाढूंगी' के खतरनाक जंगलो को पढ़ा था आज उसी जंगल के बीच बहुत बढ़िया घुमावदार रास्ते से वापसी हुई ,
अर्पित का इस तरह पहाड़ पर गाड़ी चलाने का पहला अवसऱ था , में थोड़ी आशंकित थी लेकिन झमाझम बारिश के बीच बहुत रोमांचित और संयत था वो ,
रास्ता घुमावदार है पर सड़क अच्छी बनी है ,जगह-जगह चेतावनी बोर्ड भी हैं ,कुल मिला कर यात्रा रोमांचक और मज़ेदार रही और बाबा नीब करौली का आर्शीवाद भी मिला :-D:-D
शिवानीजी ने एक जगह लिखा है कि पहाड़ का कोई आईएएस भी हो या पीसीएस पहाड़ छोड़ते समय वहाँ की प्रसिद्द 'बाल मिठाई' लेना नही भूलता ,हम तो इन दोनों में से किसी भी श्रेणी में नही और न वहां के मूल निवासी लेकिन अपनी भारतीय देवभूमि के प्रसाद स्वरूप हम भी स्वादिष्ट 'बाल मिठाई' लाना नही भूले :-D:-D
जय बाबा नीब करौली