Friday 11 June 2021

सोमनाथ मंदिर

गुजरात के काठियावाड़ में सोमनाथ मंदिर को कौन नही जानता।
दुर्भाग्य ही रहा कि इतिहास में इस सुनहरे देवस्थल की गाथा काले अक्षरों में अंकित है
कभी बचपन में पढ़ा था कि
 सोमनाथ के मंदिर में शिवलिंग हवा में स्थित था।
   चुम्बक की शक्ति से इस तरह का समायोजन किया गया था कि  शिवलिंग बिना आधार या अवलम्ब के हवा में स्थित रहता था

इसके बनने-बिगड़ने का इतिहास तो पढा ही होगा
17 हमले तो गजनवी ने किए और पहली बार हमला 1026 में किया था
कितना प्राचीन है व भारत के तकनीकी ज्ञान पर कुछ भी कहना व्यर्थ है

सोमनाथ की चर्चा होती है तो भी कभी इस अनूठे कौशल के विषय मे कुछ नही पढा, हो सकता है मुझे कुछ ऐसा मिला न हो पढ़ने को

कितना अद्भुत था न चुम्बक के समायोजन से हवा में स्थापित करना वो भी हज़ारों साल पहले
 
भारत की यही निपुणता तो खटती थी
 चिदम्बरम ,मौनी बाबा और वामपंथियों को लगता है कि भारत को वास्कोडिगामा ने खोजा
गोरों ने आकर रोटी खिलाई 🙄🙄

कुछ दिन पहले याद आया अचानक तो सोचा साझा करती हूँ
किसी को स्मरण हो आएगा तो किसी को जानकारी मिल जाएगी
इस तरह की कोई भी जानकारी अब पाठ्क्रम में नही हैं

सोमनाथ व्याख्या असीमित है
परन्तु मेरे शब्दों की सीमा है 😊

हर-हर महादेव

Saturday 5 June 2021

थ्येन ऑन मन चौक

सारे विश्व को अदृश्य कीटाणु से मार डालने का प्रयास 
चीन की पहली क्रूरता नही है

एक मुख्य घटना अत्यंत निंदनीय है
  जून 1989 में चीन ने अपने ही हज़ारों युवाओं को टैंको से कुचलवा दिया था
बीजिंग के थ्येन ऑन मन चौक पर ये युवा निरंकुश तानाशाह सरकार से देश में लोकतंत्र की मांग कर रहे थे
तब वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार ने उन पर टैंक चढ़वा दिए थे 😰
प्रतिबंधित समाचार एजेंसी इतना ही चीं-चीं कर पायीं जितनी उन्हें आज्ञा मिली
करीब दस हज़ार छात्रों ने दम तोड़ दिया था😥😥
उन हज़ारों मृतकों को विनम्र श्रद्धान्जलि 🙏🏼🙏🏼

आज भी चीन में इस विषय पर खुल के बात नही कर सकते
सोचिए उन माता-पिता की विषय में 😢😢

अति महत्वाकांक्षा के चलते देश के भविष्य को समाप्त कर देने वाली क्रूर, निर्दयी, निरंकुश तानाशाही सोच क्या कर सकती है , हम भावनाओ से जुड़े देशवासी कल्पना भी नही कर सकते😡😡

भारत में लोकतंत्र की कथित हत्या पर चीख-चीख कर  रोने वाले, हमारे देश के चीन प्रेमी उस तानाशाह सरकार के चांदी के जूते खा-खा कर दुम हिलाते रहते हैं

अब ये लालची देश के कितने हितैषी होंगे या रहे होंगे
विचारणीय है