Wednesday 29 May 2013

एवरेस्ट फ़तह करने का वो ऐतिहासिक कारनामा

एक प्रयास ---------
  • दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को 
    सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनज़िंग नोर्गे 
    की जोड़ी ने आज से साठ साल पहले 
    बौना साबित कर दिया था. 
    ये दोनों एवरेस्ट की चोटी पर 29 मई, 1953 को पहुंचे थे. 
    एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने के बाद 
    ये कामयाबी की मुस्कान है.
  • सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनज़िंग नोर्गे की जोड़ी 
    जब एवरेस्ट के शिखर पर पहुंची तब 
    दिन के साढ़े ग्यारह बजे रह थे. 
    तस्वीर में दक्षिण पूर्वी तरफ से 
    27,300 फ़ीट की ऊंचाई पर नज़र आ रहे हैं.
  • एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने के बाद दोनों ने क्या क्या होगा. 
    ये सवाल आपके मन में तो नहीं आ रहा है? 
    सर एडमंड हिलेरी तो शिखर पर पहुंचने के 
    बाद तस्वीर उतारने लगे 
    जबकि शेरपा तेनज़िंग ने चोटी पर ब्रिटेन,
     नेपाल, संयुक्त राष्ट्र और भारत का राष्ट्रीय झंडा फहराया.
  • शेरपा तेनज़िंग नोर्गे ने एवरेस्ट की चोटी पर 
    कुछ मिठाई और कुछ बिस्कुट चढ़ाए. 
    क्योंकि बौद्ध धर्म के अनुयायी कुछ ना 
    कुछ भगवान को अर्पित करते हैं. 
    इस चित्र में दोनों चढ़ाई के रास्ते में पश्चिमी सिरे 
    के कैंप चार में चाय पीते नज़र आ रहे हैं.
  • सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनज़िंग नोर्गे 
    कितनी देर तक एवरेस्ट की चोटी पर रूके होंगे? 
    दोनों महज 15 मिनट ही चोटी पर रूक पाए. 
    क्योंकि दोनों को ऑक्सीज़न की कमी महसूस होने लगी थी. 
    ये एवरेस्ट की चोटी से पश्चिमी चढ़ाई के नीचे की तस्वीर है.
  • सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनज़िंग नोर्गे की 
    ये तस्वीर 28 मई, 1953 की है. 
    यानि चोटी पर पहुंचने से एक दिन पहले की. 
    ये दोनों ख़ासे किस्मत वाले भी रहे. 
    क्योंकि महज दो दिन पहले ही एक दूसरी टीम एवरेस्ट की 
    चोटी से महज सौ मीटर की दूरी तक पहुंच चुकी थी, 
    लेकिन उन्हें ऑक्सीज़न सिस्टम के 
    नाकाम होने की वजह से वहीं से लौटना पड़ा था.
  • सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनज़िंग नोर्गे का अभियान 
    12 अप्रैल, 1953 को शुरू हुआ था. उनकी कामयाबी की घोषणा 
    2 जून को ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ 
    द्वितीय के राज्याभिषेक के मौके पर हुई.
  • इस अभियान के दौरान बेस कैंपों के बीच में रेडियो मास्ट 
    यानि रेडियो तरंगों को कैच करने वाले खंभे भी लगाए गए. 
    इससे वाकी टाकी पर बात करना संभव हो पाया था और वो 
    महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के 
    राज्याभिषेक का प्रसारण भी सुन पाए थे.
  • इस तस्वीर में एक टेंट में बैठे लोग महारानी 
    एलिज़ाबेथ द्वितीय के 
    राज्याभिषेक का रेडियो प्रसारण सुन रहे हैं.
  • एवरेस्ट पर चढ़ाई अभियान के 
    दौरान सात कैंप बनाए गए थे 
    ताकि पर्वतारोहण वाले दल के 
    लोगों को हालात से तालमेल बिठाने में मदद मिल सके.
  • इस अभियान में शेरपाओं के एक दल ने जरूरी 
    सामानों को बेस कैंप तक पहुंचाया. 
    इस चित्र के एकदम दायीं 
    ओर ल्हो ला ग्लेशियर दिख रहा है. 
    इसके दूसरी ओर तिब्बत है. 
    इसे देखकर इसपर चढ़ाई आसान लगती है 
    लेकिन ऊपर से लगातार फिसलती 
    बर्फ के चलते यह नामुमिकन चढ़ाई है.
  • 1953 में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाले दल के साथ सामान 
    ढोने और रास्ता बताने वाले सैकड़ों 
    शेरपाओं को दल भी शामिल था. 
    पीछे की पंक्ति में( बाएं से दाएं) खड़े हैं 
    स्टुबार्ट, डावा तेनज़िंग, इवांस, वेली, 
    हिलेरी, हंट, तेनज़िंग, लोवे, वार्ड, 
    बुर्डिलन, बैंड, पॉग, ग्रेगरी, नोयास. बाएं से बैठे हुए हैं - 
    टोपकी, थंडुप, अंग नामाज्ञ्याल, 
    आंग तेनज़िंग, डावा थंडुप, पीम्बा, 
    पासंग डावा, पहू दोर्ज़े, आंग ताम्बा, 
    और आंग नायमा. इस तस्वीर में 
    कई लोग शामिल नहीं है. जिनमें 
    अन्नूलू, दा नामज्ञ्याल, गोंपू और वेस्टमैकट).
  • 1953 का ये अभियान एवरेस्ट पर 
    चढ़ाई करने के उद्देश्य से नौवां अभियान था. 
    इस तस्वीर में सर एडमंड हिलेरी 
    एक सीढ़ी पुल पार करते दिख रहे हैं.
  • इस अभियान का नेतृत्व कर्नल जॉन हंट ने किया था. 
    इसका आयोजन और वित्तीय प्रबंध ज्वाइंट 
    हिमालयन कमेटी की ओर से हुआ था. 
    सभी तस्वीरें रॉयल ज्योग्राफ़िकल सोसायटी 
    और आईबीजी के सौजन्य से ली गई हैं.

9 comments:

  1. एवरेस्ट फतह
    बहुत अच्छा अरुणा जी
    ब्लॉग का नाम "मुझे कुछ कहा है.... अच्छा लगा

    pdf file editor जिससे पीडीऍफ़ फाइल को एडिट करें

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    1. शुक्रिया sanny chauhanजी ......माफ़ कीजिये ...'मुझे कुछ कहना है'

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार(30-05-2013) हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं ( चर्चा - 1260 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सादर आभार मयंक जी ........क्षमा करें आज -कल समय नहीं दे पा रही हूँ व्यस्तता के चलते

      समय पर उपस्थित नहीं रह पाती

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  3. इस पोस्ट द्वारा कई अनजानी जानकारियां भी आज पहली बार मालूम पडी, बहुत आभार.

    रामराम.

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    1. राम -राम ताऊ आभारी तो में हूँ आपकी ,जो हर पोस्ट पर अपने अमूल्य विचार देते हैं और हौसला बढाते हैं

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  4. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...
    आभार

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    1. आभार आपका बस यूँही हौसला बढाते रहिये

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