Wednesday 9 September 2020

#शिक्षक दिवस

सर्वपल्ली राधा कृष्णन जी के जन्म दिवस पर कोटि-कोटि नमन 🙏🙏
शिक्षा जीवन भर चलती है ,माता-पिता ,घर के अन्य बड़े ,स्कूल के अध्यापक ,समय,अनुभव हमें हर पल इन सबसे कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहता है :) 
सभी हमारे शिक्षक हैं
चेहरे बदल जाते हैं लेकिन गुरु और शिष्य अपने क्षेत्र में जमे रहते हैं 🤗
पग-पग पर समय-समय पर अनेक शिक्षकों का मार्ग दर्शन ही यहाँ तक ले आया । 
कई लोगों का स्थान अति विशिष्ट बन जाता है वो हमेशा स्मरण रहते हैं परन्तु किसी के भी योगदान को कम  नहीं आंक सकते  
घर, प्राइमरी स्कूल से लेकर कॉलेज तक की यात्रा रोचक रही , ज्ञानवर्द्धक रही बहुत स्मरणीय रही । 
अनेक लोगों का सहयोग मिला  
आज नही जानती कौन कहाँ हैं, कैसे हैं  ?
लेकिन अपने सभी शिक्षकों की ,गुरुजनों की,
माता-पिता की अपने प्रत्येक मार्ग-दर्शक की हृदय से आभारी हूँ , कृतज्ञ हूँ ❤️❤️❤️❤️
समस्त गुरुजन को करबद्ध नमन 🙏🙏🙏🙏 
सीखने के पल का कोई अंत नही 😊 परन्तु औपचारिक शिक्षा का समापन हो ही जाता है😊😊
नीचे प्रथम और अंतिम औपचारिक शिक्षा संस्थान  
🤗🤗
अंतिम औपचारिक शिक्षा संस्थान

प्रथम औपचारिक शिक्षा संस्थान

Saturday 5 September 2020

नमन

आज मदन लाल जी की पुन्य तिथि पर एक प्रसंग याद आ गया --
है मेरे व्यक्तिगत जीवन का जो मदन लाल जैसे महान क्रांतिकारी से जुड़ा है .......

17 अगस्त 1909 को विदेशी धरती पर फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद भी मदन लाल ढींगरा की राज्य व भारत सरकार ने कोई सुध नहीं ली ..............

उनके पार्थिव शरीर को भारत में किसी के द्वारा ना मांगे जाने के कारण उनके शरीर को जेल में ही दफना दिया ..............

जहाँ कुछ समय के बाद शहीद उधम सिंह को भी फाँसी के उपरांत दफना दिया गया ...........................

लेकिन ना जाने क्यों और कैसे उनकी शहादत की याद 1976 में सरकार को आ ही गयी तब ब्रिटिश सरकार से बात--चीत के बाद दोनों क्रांतिकारियों के अंतिम अवशेष भारत में लाए गए...........................

उन दिनों हम रूडकी में रहते थे ... ............और रूडकी तब उत्तर प्रदेश में था ..........

.....तब ,आज के बहुचर्चित 'नारायण दत्त तिवारी 'उत्तर प्रदेश के 'मुख्य मंत्री' थे ...........मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ भारत आई और उन्हें विसर्जन के लिए सड़क मार्ग से हरिद्वार ले जाया जा रहा था ......

मेरे पिताजी हमें ,उस महान आत्मा की विसर्जन हेतु जाती अस्थियों के दर्शन के लिए ले गए थे ...........
...साथ में छोटी बहन Garima Saxena भी थी ..

.अस्थि कलश खुली जीप या ट्रक में रखे थे ....
और अघोषित कर्फ्यू जैसा वातावरण था ............एक दम शान्ति ........
हज़ारों की संख्या में लोग सड़क के दोनों और जमा थे ...
अपने महान क्रांतिकारी को माल्यार्पण कर श्रधांजलि दे रहे थे .......... 

........तब इस बात के गौरव को ,इसके महत्व को समझ नहीं सकी थी .. लेकिन आज वो याद ताज़ा हो गयी ....और अब में उस एतिहासिक लम्हे का साक्षी बनने के लिए बहुत ही गर्व अनुभव करती हूँ ..............
मुझे अवसर मिला उस महान व्यक्ति की अस्थियों को प्रणाम करने का .......उस वीर को शत-शत नमन .......कर बध प्रणाम ....जय हिंद ..
...............................वन्दे मातरम ..........