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Thursday, 2 May 2013

हाइकु

एक प्रयास --------- 

1-गहरी निद्रा
सपनो का संसार 
दूर थकान 

2-व्यथित नर

पल-पल परीक्षा
पास या फेल

3-वृत्त केंद्र

असीमित क्षमता
आकर्षण की

4-सोच -विचार

मन अकुलाहट
एक रचना

५-धन अभाव

असीमित क्षमता
टूटे स्वप्न

दिवाली हाइकु

एक प्रयास ---------

दीप जला हो 
गया प्रकाश
चाँद विहीन है
आज आकाश |
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पूजा का है
थाल तैयार
लक्ष्मी पूजन
करे परिवार
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छम -छम करती
लक्ष्मी आई
धन तेरस
दे रहा बधाई |
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रंगीन रोशनी
जला अनार
अभिनन्दन करे
वन्दनवार
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नन्ही लौ
कुछ यूँ मुस्काये
दीवाली की
बेला भाये
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संग अपनों
के चहकें गाएं
सुरक्षित
दीपावली मनाएं
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बाँट उपहार
खाएं मिठाई
दीवाली की
शुभ घडी आई 

हाइकु

एक प्रयास ---------

गाये हथौड़ी 
ठन ठन ठन ठन
छेनी झुक 
करती अभिनन्दन 
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कठोर 'संग' में 
स्वप्न  सजाया 
शिल्पी ने 
आकार बनाया  
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कोमल और 
सजीला सपना 
'संग' तराश 
अब लगता अपना 
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मेरी परिभाषा ------

एक प्रयास ---------

श्वास----

जिंदगी की धुरी और आधार
क्षणिक टूटा
जिंदगी कितनी बेबस लाचार ??

स्वप्न ----
मन में बसते हैं
आँखों में सजते हैं
उड़ान भरते है
संकल्प के साथ मन में
ही वास करते हैं

ख़ुशी ----
मन का इच्छाओं पर
निरंकुश राज
प्यारा एहसास
तृप्त मन को लगे आ गया मधुमास

सफलता ----
परिश्रम प्रतिफल
तृप्त मन
गंतव्य पर पहुंचे
साकार स्वप्न

हाइकु

एक प्रयास ---------

१-उछल कूद

और एक छलांग

कपि शैतान

२-मन ने भरी

बस एक उड़ान

कवि महान

३- भूत आधार

भविष्य शिखरहै

वर्तमान का

हाइकु

एक प्रयास ---------

१-उचटा मन 
बौखलाया मानव 
दिन खराब 

२-सितारों भरा
चमकता आकाश
एक स्वप्न

३-एक परीक्षा
परिणय बंधन
शुभकामना

४--नया महीना
भुगतान कतार
चिंतित मुद्रा

५-सजे स्वप्न
मन में विश्वास
हुए सफल

६-गरम चाय
मलाई का मिश्रण
आहा ! स्वादिष्ट

Wednesday, 1 May 2013

कान्हा के हाइकु

एक प्रयास ---------

कारावास में 
बंदी जन माँ तात
मातुल गृह

घनघोर वर्षा
भाद्र पद अष्टमी
कृष्णावतार

नत मस्तक
यमुना ज्वार
कान्हा का मान

घनी वर्षा में
शेषनाग पधारे
मह बचाव

काली रैन में
वासुदेव पहुंचे
गोकुल धाम

गायें बधावे
सजा गोकुल ग्राम
हर्ष -उल्लास

कुछ हाइकु ...

एक प्रयास ---
नन्हे धागे के साथ 
दूर देस में 
खिला है मन 
मिले भाई बहन 


बरसों बाद 

जाग उठी हैं
बचपन की यादें
द्रवित मन

याद आये हैं
बीत गए वो पल
बिताये यहाँ

जलता चूल्हा
सिकती सौंधी रोटी
फैली सुगंध

हर कौर में
माँ का था वो दुलार
आत्मा भी तृप्त

सजा है थाल
बहन भी तैयार
राखी के साथ

सजी कलाई
बहन के स्नेह से
भाई प्रसन्न

तू अभिमान
दिल के उदगार
बहन कहे

माथ सजाये
अक्षत रोली मिल
गर्वित टीका

इस धागे में
बंधा हमारा प्यार
अभिमान है

गया श्रावण
पूर्णिमा आई आज
राखी के साथ .............................------

कान्हा तेरे हाइकु

एक प्रयास ---------

मधुर बंसी 

सुन गोकुल वासी 
भाव विभोर 

कातर स्वर
निरीह पांचाली का
माधव आये

तंदुल संग
बाल सखा सुदामा
द्वारिका द्वार

पाँव पखारे
छलके नयन से
बाल सखा के

गांडीव संग
अर्जुन उत्साहित
कृष्ण सारथी

तुम

एक प्रयास ---------

१-बिना तुम्हारे
 
तपिश अकुलाये

 
दिल की बात

 
२-शूल बन के


चुभन दे रही जो

याद है तेरी


३-आज आओगे


दस्तक दिल पर


लम्हा दे रहा .