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Thursday, 2 October 2014

और ३२ साल बाद ये सुनहरा गोल

एक प्रयास ---------

और ३२ साल बाद ये सुनहरा गोल
  
जीत गया भारत एक और स्वर्ण! बधाई पूरी हाकी टीम को 
बधाई हर भारत वासी को 
समय सही हो तो सब अच्छा होता है
लग रहा है हर क्षेत्र में भारत का खोया गौरव लौट रहा है .......
भारत ने फ़ाइनल में पाकिस्तान को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से राया. 
इसी के साथ भारत 2016 रियो ओलंपिक खेलों की अग्नि परीक्षा पास कर योग्य साबित हुआ और ओलिम्पिक में सीधा प्रवेश पा गया कर गया है...
चिर परिचित प्रतिद्वंदी के साथ जीत का स्वाद और बढ़ जाता है
भारतीय जीत के हीरो रहे गोलकीपर श्रीजेश रविंद्रन.

भारत ने पिछली बार 1998 में एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था.
तब भी निर्धारित समय व ओवरटाइम के बाद में दोनों टीमों 
(भारत और दक्षिण कोरिया) 
का स्कोर 1-1 से ही बराबरी पर रहा था और पेनल्टी शूटआउट से निकला नतीजा भी 
वही 4-2 का स्कोर था जिससे भारतीय टीम इस बार जीती है।

इससे पहले दोनों टीमें (भारत और पकिस्तान) हॉकी के फ़ाइनल में दिल्ली में एशियाई खेलों में आमने-सामने थीं. 
वो मैच भारतीय हॉकी को निराशा दे गया था 
दिल्ली के शिवाजी स्टेडियम में पाकिस्तान ने भारत को सात-एक गोल से परास्त किया था.
लेकिन आज सब हिसाब करते हुए भारत ने विजय पायी 

समय सही हो तो सब अच्छा होता है 
लग रहा है हर क्षेत्र में भारत का खोया गौरव लौट रहा है ...........

बधाई भारत की महिला हाकी टीम को भी खाली हाथ तो नहीं लौट रही
उसने भी जापान को परास्त कर कांस्य जीता ...




एक बार फिर से सबको बधाई ....:)
वन्दे मातरम

Thursday, 25 September 2014

भारत की प्रतिभायेँ

एक प्रयास ---------
भारत प्रतिभा सम्पन्न देश है भारत की प्रतिभायेँ समय-समय पर चका-चौँध करती रहती हैँ ।
कम लागत मेँ पहली बार की सफलता 'सोने पर सुहागा' जैसी है  
'ऐसी ही एक घटना जनसत्ता मेँ पढ़ी थी ।
अस्सी के दशक की है मथुरा रिफाइनरी मेँ कुछ तकनीकी ख़राबी आ गयी 
तब विदेशी समाधान की खोज की गयी लेकिन समय और होने वाला व्यय बहुत अधिक था 
तब हमारे अपने वैज्ञानिक आगे आये और उन्होने बहुत कम समय और बहुत कम लागत मेँ समस्या सुलझा ली
' आज अचानक ये घटना याद आ गयी। 
ऐसा है मेरा महान भारत और उसकी प्रतिभाएं
भारतीय प्रतिभाओँ की उपलब्धि को मेरा नमन
जय हिन्द जय भारत 

लेखक की कलम आज सार्थक

एक प्रयास ---------

चंदा ने अपनी छाती पर तो नही चढ़ने दिया पर 
बचपन मेँ चंपक मेँ पढ़ी बाल कविता के लेखक की कलम आज सार्थक हो गयी 
तिरंगा मंगल पर लहरा भारत का मान बढ़ा रहा है-- 


तारोँ के संग चंदा बैठा, हँस-हँस मुझे चिढ़ाता है ।
रोज़ बुलाता हूँ मैँ उसको, वह अपनी अकड़ दिखाता है। 
एक बड़े राकेट पर चढ़ कर चंद्रलोक को जाऊँगा,
छाती पर चंदा की चढ़ कर मंगल का पता लगाऊँगा ।
खोज करुँगा मंगल तारा ,राष्ट्रधवजा फहराऊँगा ,
ऊँची करके राष्ट्र पताका भारत का मान बढ़ाऊँगा ।-----
आज सालों बाद आ ही गया वो दिन -----------हर भारत वासी ढेरों बधाई 

Sunday, 20 July 2014

ब्रिक्स में भी जय हिँद

एक प्रयास ------
ब्रिक्स सम्मेलन तो पहले भी हुये पर उसकी ईटेँ भारत मेँ पहले कभी इतनी मुख़रता से नही बोली ! जय हिँद , जय भारत ।
 भारत सहित ब्रिक्स के पांचो प्रमुख विकासशील देशों ने बराबर की हिस्सेदारी के साथ 100 अरब डॉलर की शुरूआती अधिकृत पूंजी के साथ नये विकास बैंक की स्थापना का फैसला किया गया।



बैंक की शुरूआती अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी। 
शुरूआत में पांचो सदस्य कुल 50 अरब डॉलर की पूंजी का अंशदान करेंगे। 
इसमें संस्थापक सदस्यों की बराबर बराबर हिस्सेदारी होगी।
  
हालांकि, बैंक का मुख्यालय चीन में शंघाई में होगा। 
भारत चाहता है कि यह नयी दिल्ली में हो। 
बैंक का प्रथम अध्यक्ष भारत होगा....................

Monday, 19 May 2014

रुबिक क्यूब' --चालीस साल पूरे हुए इस खिलौने को ..

एक प्रयास --------

जब सबसे पहले इसका नाम सुना और इसके बारे में धर्मयुग में पढ़ा तो बचपन में ये एक सपना सा लगता था ......
नया-नया खिलौना सामने आया था रूडकी जैसे शहर में मिलना भी मुश्किल हो गया था .....
..फिर एक दिन पिताजी ले आये और हमने बड़ी मुश्किल से एक रंग लगाना सीखा |..
..इसके बाद समस्या सभी रंगों को लगाने की रही ...
.जो एक मुश्किल काम रहा सभी के लिए
लेकिन इसके बाद भी अक्सर इसके रिकार्ड सामने आते रहते थे ........
मुंबई में बच्चों ने इतने समय में हल किया ,
उस जगह इतने समय में .......वहां इतना रिकार्ड बना 
......आदि -आदि
आज समस्या हल करने की नहीं रही .........
अब कौन कितना कम समय लेगा इसे हल करने में बात ये है ..!!!

रयूबिक क्यूब का अविष्कार हंगरी के आर्किटेक्ट आर्नो रयूबिक ने 1974 में किया.
ऐसा माना जाता है कि अब तक 40 करोड़ रयूबिक क्यूब बिक चुके हैं.
सबसे तेज़ी से रयूबिक क्यूब हल करने का रिकॉर्ड 7.08 सैंकड है.
ये रिकॉर्ड एरिक एकर्सडिज्क के नाम है.


.

Friday, 16 May 2014

हार्दिक बधाई ..

एक प्रयास ---------अरे क्या था ये हवा ,आंधी , प्रचंड वेग से आया तूफ़ान .........??
आस-पास से सब उड़ गए ........
सभी भारत वासियों को हार्दिक बधाई .......हर राष्ट्रवादी को बधाई ......
जो वंचित रह गए थे १९४७ की खुली हवा के प्रथम अनुभव से आज अवसर है उन सब के लिए ...
हम सब के लिए ....खुल कर सांस लें और अनुभव करें सचमुच की आज़ादी .......
..................जय हिन्द .......जय भारत ..............वन्दे मातरम .............

Thursday, 15 May 2014

ज़ायके के ज़रिए अमन का पैग़ाम

एक प्रयास -----
  • सरहद रेस्त्रां
    भारत और पाकिस्तान सीमा से सिर्फ़ 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है '
  • सरहद' रेस्टोरेंट जो 'इस पार' और 'उस पार' की साझा पंजाबी 
  • तहज़ीब की जीती जागती धरोहर के रूप में खड़ा है. 
  • सरहद रेस्त्रां
    कमाल की बात यह है कि 
  • 'सरहद' रेस्टोरेंट अमृतसर से 28 किलोमीटर की दूरी पर है 
  • जबकि ये लाहौर से ज़्यादा क़रीब है. 
  • लाहौर से सरहद रेस्टोरेंट की दूरी 22 किलोमीटर है.
  • सरहद रेस्त्रां
    इस रेस्टोरेंट की ख़ास बात ये है कि 
  • इसका नक्शा और वास्तुकला पाकिस्तान के
  •  पंजाब प्रांत के लाहौर की जामा मस्जिद जैसी है, 
  • जबकि इसके फ़र्श में जिन टाइलों का इस्तेमाल किया गया है 
  • वो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में इस्तेमाल की गईं टाइलों जैसी है.
  • सरहद रेस्त्रां
    साज सज्जा में एक और ख़ास बात है. 
  • यहां बावर्चीखाने की दीवारों पर पकिस्तान की 'ट्रक हस्तकला' का इस्तेमाल किया गया है. 
  • लाहौर के रहने वाले नामी कलाकार हैदर अली ने ख़ुद यहां आकर इन्हें बनाया है.
  • सरहद रेस्त्रां
    'सरहद' रेस्टोरेंट के मालिक अमन जसपाल का कहना है कि 
  • उनका उद्देश्य दोनों तरफ़ की पंजाबियत को प्रोत्साहित करना है.
  • सरहद रेस्त्रां
    विभाजन से पहले पूरा पंजाब एक हुआ करता था. 
  • और 'सरहद' में विभाजन के पहले के अख़बार भी लगाए गए हैं
  •  जिससे अविभाजित भारत के इस इलाक़े के बारे में महत्वपूर्ण ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं.
  • सरहद रेस्त्रां
    इस रेस्टोरेंट में बनने वाले व्यंजन भी बिलकुल अलग हैं. 
  • यहां पर 'लाहोरिया' व्यंजन या फिर पकिस्तान के
  •  पंजाब के व्यंजन काफ़ी लोकप्रिय हैं. 
  • इन व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले मसाले भी लाहौर से ही मंगाए जाते हैं.
  • सरहद रेस्त्रां
    'सरहद' रेस्टोरेंट, दोनों तरफ़ के पंजाब के पारंपरिक
  •  पकवानों का एक ऐसा ठिकाना बन गया है 
  • जहां अब दूर दूर से लोग आने लगे हैं.
  • सरहद रेस्त्रां
    खाने के अलावा पाकिस्तानी फ़ैशन
  •  डिजाइनरों के तैयार किए गए कपड़ों को भी यहाँ रखा गया है.
  • सरहद रेस्त्रां
    रेस्टोरेंट के मालिक अमन का कहना कि सरहद रेस्टोरेंट को 
  • वो सिर्फ़ एक ढाबा नहीं बल्कि 'अमन का एक संग्रहालय' बनाना चाहते हैं.
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Tuesday, 6 May 2014

दोष सिर्फ दिल के काले गोरों को ही नहीं दे सकते .....जब नाम ही दर्ज नहीं था तो ?????

एक प्रयास -----#भगत सिंह पर खुलासा, बिना FIR दी थी फांसी---
दोष सिर्फ दिल के काले गोरों को ही नहीं दे सकते ..............
जब नाम ही दर्ज नहीं था तो ?????

शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी दिए जाने के 83 साल बाद एक बड़ा खुलासा सामने आया है। 
ब्रिटिश पुलिस अफसर जॉन सैंडर्स की हत्या के मामले में 
पाकिस्तान के लाहौर में दर्ज एफआईआर में भगत सिंह का नाम नहीं था।

भगत सिंह को सैंडर्स की हत्या के आरोप में महज 23 साल की उम्र में मार्च 1931 में सजा-ए-मौत दी गई थी।

पाकिस्तान में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज कुरैशी न
 सैंडर्स की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर की कॉपी हासिल की है।

ऊर्दू में लिखी एफआईआर 17 दिसंबर 1928 को 
शाम साढ़े चार बजे लाहौर के अनारकली थाने में दर्ज कराई गई थी,

जिसमें 2 अज्ञात लोगों पर सैंडर्स की हत्या का आरोप लगाया गया।

शिकायतकर्ता इसी थाने का एक अधिकारी था और मामले का चश्मदीद भी था।

उसके मुताबिक जिस शख्स का उसने पीछा किया वो पांच फुट पांच इंच लंबा था, 
हिंदू चेहरा, छोटी मूंछें और दुबली पतली और मजबूत काया थी।

वह सफेद रंग का पायजामा और भूरे रंग की कमीज और काले रंग की छोटी क्रिस्टी जैसी टोपी पहने हुए था।

मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 120 और 109 के तहत दर्ज किया गया था।

Saturday, 5 April 2014

अपने ही घर में अज्ञातवास झेलता रहा एक महान व्यक्तित्व

एक प्रयास ---------

परिवार ने माना गुमनामी बाबा ही थे 'नेताजी'


नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भाई की पौत्री जयंती रक्षित और तापती घोष ने माना कि फैजाबाद के रामभवन में अंतिम सांस लेने वाले गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। 

उन्होंने कहा कि उनके पास से मिले सामान, लिखावट व शौक आदि से पता चलता है कि भगवन जी के नाम से विख्यात रहे शख्स कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाषचंद बोस थे। 


उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय को इसे संज्ञान में लेकर एसआइटी गठित कर यह जांच करवाना चाहिए कि आखिर भगवन जी के पास से मिले सामान किसके हैं और भगवन जी कौन थे? तो सारे तथ्य खुद सामने आ जाएंगे। इससे यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि भगवन जी ही नेता जी थे।

सिविल लाइंस स्थित रामभवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पहले भी इस प्रकार की बातें कई बार सामने आई कि फलां साधु नेताजी सुभाषचंद बोस हैं, लेकिन कोई ठोस आधार नहीं मिला। 

इसके बाद जब मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में यह सामने आया कि नेताजी की मौत ताईवान में नहीं हुई। 

तब उन्होंने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को पढ़ा और गहन छानबीन की। 

इसके बाद पता चला है कि गुमनामी बाबा के नाम से पहचान पाने वाले ही नेताजी थे। 

उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो हाईकोर्ट ने गुमनामी बाबा के सामान को सुरक्षित रखने का आदेश क्यों दिया? 

जबकि किसी आम शख्स के लिए ऐसा नहीं किया जाता। 

उन्होंने कहा कि उन्हें यह भरोसा नहीं है कि यदि सरकार जांच कराएगी तो सारे तथ्य सामने आएंगे। 

इसलिए उच्च न्यायालय को प्रकरण का संज्ञान लेना चाहिए और सारे तथ्यों की छानबीन करानी चाहिए।

इस मौके पर पीस पार्टी के विधानमंडल दल के नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि उन्होंने गत वर्ष सदन में इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की थी, लेकिन एक साल गुजर गए पर सरकार ने चर्चा नहीं कराई। 

लेकिन साफ़ और सच ये है कि नेताजी के मसले पर सरकार गंभीर नहीं है। 

Friday, 28 March 2014

--1983 की विश्वकप जीत बड़े पर्दे पर-----

एक प्रयास --------
25 जून 1983 का दिन भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.
जब कपिल देव ने भारत के कप्तान की हैसियत से विश्व कप ट्रॉफ़ी लॉर्ड्स के मैदान में थामी थी.

अब इस ऐतिहासिक जीत को बड़े पर्दे पर लायेंगे निर्देशक संजय पूरन सिंह
फ़िल्म के निर्माता हैं विष्णु वर्धन इंदुरी जो सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग के संस्थापक हैं.
शूटिंग लॉर्ड्स में -होगी ----



मुझे ख़ुशी है कि भारतीय क्रिकेट का एतिहासिक दिन फिल्माया जाएगा !!

लेकिन क्या हॉकी का कोई अधिकार नहीं ?
तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के
सदस्य मेजर ध्यान चंद भी इसके अधिकारी हैं ............
बहुत प्रसन्नता की बात होगी यदि उनकी उपलब्धि पर भी कोई फिल्म बनायी जायेगी 

एक प्रयास ---------सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह के फांसी दिए जाने की ख़बर - 
लाहौर से प्रकाशित द ट्रिब्युन के मुख्य पृष्ठ पर।


Wednesday, 26 March 2014

---देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी---

एक प्रयास ---------देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी---

देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी 16वीं लोकसभा के चुनाव में भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 
इसके लिए वह खासे उत्सुक भी हैं।

देश में लोकतांत्रिक प्रणाली के लागू होते ही १९५१ में सबसे पहले हुए मतदान के दौरान
 पहला मतदान करने का सौभाग्य किन्नौर जिला के कल्पा निवासी श्याम शरण नेगी को प्राप्त हुआ था।

तब वह शिक्षक थे और तभी से वह न केवल लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाग ले रहे हैं, 
बल्कि पंचायत स्तर के हर चुनावों में भी हिस्सा लेते हैं।

Sunday, 23 March 2014

शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार का दुर्लभ चित्र....!!!

एक प्रयास ---------शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार का दुर्लभ चित्र....!!!

इतिहासकार बताते हैं कि फाँसी को लेकर जनता में बढ़ते रोष को ध्यान 
में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में कर दिया थाl 
परन्तु यह बात आँधी की तरह फिरोजपुर से लाहौर तक शीघ्र पहुँच गई । 

अंग्रेज फौजियों ने जब देखा कि हजारों लोग मशालें लिए उनकी ओर आ रहे हैं तो वे वहाँ से भाग गए।
तब देशभक्तों ने उनके शरीर का विधिवत् दाह संस्कार किया।
 



लुधियाना में सुखदेव थापर का मकान 


सरदार भगत सिंह जी के दादा 


बर्फ़ीले अंटार्कटिका पर किसका है हक़?

एक प्रयास ---------
चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा 24 जनवरी, 2013 को अंटार्कटिका पहुँचे. 
वहाँ की धरती के एक हिस्से पर अपना हक़ जताने के लिए. 
चिली के राष्ट्रपति ने बाक़ायदा अंटार्कटिका की धरती पर 
पटी बर्फ़ के गहरे चादर में झंडा गाड़कर ऐलान किया कि
 उस जगह पर चिली का रिसर्च स्टेशन बनेगा.
अंटार्कटिका हमारी धरती का सबसे निचला हिस्सा है. 
यहाँ सूरज की रोशनी भी सीधी नहीं पहुँच पाती है. 
हर तरफ शानदार सफ़ेद बर्फ़ की ऊँची-नीची पहाड़ी है 
जिस पर अब तक किसी का कोई हक़ नहीं था.
लेकिन अब इस पर कई राष्ट्र एक साथ दावा करने लगे हैं.
चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा ने जब अंटार्कटिका पर अपना झंडा गाड़ा तब उन्होंने अपने देश का इरादा कुछ इस तरह से व्यक्त किया, 
''ये हमारा अगला कदम है. हम अंटार्कटिका में अपनी मौजूदगी को पुख्त़ा कर रहे हैं. हम उस महाद्वीप पर अपना दावा पेश कर रहे हैं जो हमारे देश के नज़दीक है और भविष्य का महाद्वीप है.''
अंटार्कटिका
अंटार्कटिका धरती का सबसे निचला हिस्सा है जहां आसानी से सूरज की रौशनी भी नहीं पहुंच पाती है

बढ़ती दिलचस्पी

19वीं सदी में लोगों को अंटार्कटिका के अस्तित्व का पता तक नहीं था 
मगर अब वहाँ पाँव जमाने की होड़ सी मच गई है 
जिसकी शुरूआत पिछले साल दिसंबर महीने में ब्रिटेन ने की थी.
पिछले महीने ही ब्रिटेन की सरकार ने महारानी एलिज़ाबेथ की ताजपोशी के 60 साल पूरे होने के मौक़े पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नाम महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर रखने की घोषणा की थी 
जिसका अर्जेंटीना ने कड़ा विरोध किया था.
"

जब विदेश मंत्री विलियम हेग ने महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नामकरण करने की घोषणा की तब अर्जेंटीना ने ब्रिटेन के राजदूत को तलब कर लिया और उनके दावे पर कड़ा ऐतराज़ जताया.
अर्जेंटीना का दावा है कि अंटार्कटिका के जिस हिस्से पर ब्रिटेन अपना दावा पेश कर रहा है असल में वो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
हालांकि, अंटार्कटिका की धरती पर किए जा रहे इन दावों को कोई नहीं मानता 
मगर दावेदारी की बढ़ती संख्या को देखते हुए करीब पचास साल पहले एक समझौता हुआ था 
जिसमें तय किया गया था कि अंटार्कटिका में कोई सैनिक या औद्योगिक गतिविधि नहीं होगी.

भारत की दिलचस्पी

अंटार्कटिका के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं लेकिन हाल के दिनों में दावों को लेकर ब्रिटेन का विवाद सबसे ज्य़ादा चिली और अर्जेंटीना के साथ है.
लेकिन ऐसा देखा गया है कि पिछले कुछ सालों से कई कारणों के कारण अंटार्कटिका में विभिन्न देशों की दिलचस्पी बढ़ी है.
कुछ समय पहले ही कंबरिया के एक जुनूनी, लियो हाउलडिंग ने 
अंटार्कटिका की दो हज़ार मील की यात्रा कर वहां से फोनकॉल करने का रिकॉर्ड बनाया.
लियो हाउलडिंग अंटार्कटिका के बारे में पता लगाने वाले अभियान दल 'वुल्फ्स टूथ' के सदस्य हैं.
ज़ाहिर सी बात है कि एक फोनकॉल करने के लिए अंटार्कटिका कोई आसान जगह नहीं है.
इससे पहले एक ब्रितानी टीम ने अपने 12 सदस्यों का एक वैज्ञानिक दल अंटार्कटिका भेजा था. 
ये अभियान दल अंटार्कटिका की गहराई में दबी एक नदी 'एल्सवर्थ' का अस्तित्व तलाशने वहां गया था.




ये लोग वहां कई मीलों तक फैले बर्फ में नदी को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे.
अंटार्कटिका में भारत की गहरी दिलचस्पी रही है, पिछले 30 वर्षों में भारत ने 30 अभियान दल वहाँ भेजे हैं.
अंटार्कटिका
अंटार्कटिका पर झंडा गाड़ते चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा

भारत ने अपने वैज्ञानिकों का सात सदस्यीय दल पहली बार 1981 में अंटार्कटिका भेजा था. 
भारत के कई वैज्ञानिक अंटार्कटिका पर अनुसंधान कर रहे हैं.
अभी तक अंटार्कटिका को लेकर टकराव की नौबत तो नहीं आई है 
लेकिन ये कहना मुश्किल है कि ये स्थिति कब तक ऐसी ही बनी रहेगी.

Saturday, 22 March 2014

रामायण की पांडुलिपि का डिजिटल संस्करण

एक प्रयास ---------17वीं सदी की रामायण की पांडुलिपि को 19वीं सदी के शुरुआत में 
ब्रिटेन और भारत के बीच बांटा गया था 
और अब ब्रिटिश लाइब्रेरी और मुंबई के सीएसएमवीएस संग्रहालय ने इसका डिजिटल संस्करण पेश किया है. 


  • रामायण पांडुलिपि
    इस पेंटिंग के ऊपरी दाहिनी हिस्से में रामायण के नायक राम को 
  • उनके पिता कह रहे हैं कि उनके बाद वह राजा बनेंगे.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम की सौतेली मां ने जब अपने बेटे भरत को राजा बनाने के लिए हस्तक्षेप किया 
  • तब अपनी पत्नी और भाई के साथ वनवास पर जाते राम.
  • रामायण पांडुलिपि
    इस पेंटिंग में विभिन्न दृश्य दिखाई दे रहे हैं 
  • जिसमें इस यात्रा के विभिन्न चरणों में पात्रों को दिखाया गया है. 
  • वनवास के बाद जंगल में भटकने के दौरान उन्होंने अपने रहने की जगह बनाई. 
  • राम पहाड़ के रास्ते जाते हुए जहां फूलों वाले पेड़-पौधे देखकर वे हैरान हो रहे हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    मेवाड़ रामायण की 1,200 पृष्ठों वाली पांडुलिपि एक लिपिक ने लिखा था 
  • लेकिन इसके अलावा भी कई कलाकार इससे जुड़े थे. 
  • अयोध्या राज्य में राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रखा गया है. 
  • उनके सौतेले भाई भरत ने राम को वापस लाने के लिए राज़ी करने की कोशिश की
  •  जो भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं.
  •  उन्होंने 14 साल तक के वनवास का वचन पूरा करने के लिए
  •  वापस आने के लिए इनकार कर दिया.
  • रामायण पांडुलिपि
    17वीं सदी में राजस्थान की शाही अदालत में पेश की जाने वाली 
  • इस पांडुलिपि को रामायण का बेहद अहम और 
  • सुंदर संस्करणों में से एक माना जाता है.
  •  इस तस्वीर में राम और उनके भाई ने वानर सेना की मदद ली 
  • जब राम की पत्नी सीता का अपहरण एक दानव राजा ने कर लिया. 
  • राम एक युद्ध में धनुष से वार करते हुए. 
  • उन्होंने वानर राजा सुग्रीव के साथ भी गठजोड़ किया.
  • रामायण पांडुलिपि
    19वीं सदी के शुरुआत में राजस्थान में ब्रिटिश अधिकारी को पांडुलिपि के 
  • कुछ हिस्से को उपहार के तौर पर पेश किया गया था. 
  • इसमें सुग्रीव अपनी सेना को अपहरण कर ली गई 
  • सीता को खोजने के लिए अलग-अलग हिस्से में बांट रहे हैं. 
  • राम ने निशानी के तौर पर अपनी अंगूठी हनुमान को दे दी
  •  जो दक्षिण के अभियान का नेतृत्व करेंगे.
  • रामायण पांडुलिपि
    हनुमान लंका द्वीप पर सीता को ढूंढ लेते हैं जहां सीता दानव सेना से घिरी हुई हैं.
  •  सीता कहती हैं कि उन्हें बचाने की ज़िम्मेदारी वह हनुमान को नहीं दे सकती हैं 
  • क्योंकि यह काम सिर्फ़ राम को ही करना होगा. 
  • हालांकि वह भी राम के लिए निशानी के तौर पर एक गहना भेजती हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    राक्षसों के साथ एक भयंकर लड़ाई में हनुमान घायल हो गए 
  • और उन्हें पकड़ लिया गया. 
  • सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा के हस्तक्षेप से वह बचे. 
  • हालांकि हनुमान ने रावण से मिलने के लिए 
  • आत्मसमर्पण करने का फ़ैसला किया.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ आगे बढ़ रहे हैं 
  • और लंका पर हमला करने के लिए वानरों की एक सेना भी आगे बढ़ रही है.
  •  उन्होंने उत्तरी द्वार पर हमला किया जहां दानव राजा रावण का गढ़ है.
  • रामायण पांडुलिपि
    इस भीषण लड़ाई में रावण ने लक्ष्मण पर हमला कर दिया.
  • हनुमान ने क़ैद से निकलकर रावण के राज्य में भारी तबाही मचाई 
  • और उनके हमले से रावण गिर पड़े. 
  • बाईं तरफ़ घायल लक्ष्मण भी अपने भाई के पैरों के पास पड़े हुए हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    राक्षसों की एक सेना रावण के विशालकाय भाई 
  • कुंभकर्ण को जगाने की कोशिश में जुटे हैं
  •  ताकि उन्हें भी लड़ाई में शामिल किया जाए. 
  • उनके लिए काफ़ी मात्रा में खाना और मृत जानवर परोसा गया है 
  • ताकि वह जगने पर खाएं. कुंभकर्ण को ज़्यादा सोने का शाप मिला था.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम लंका में विजय हासिल करने के बाद सरयू नदी के
  •  तट पर जुलूस के साथ आते हैं. 
  • उनके साथ सुग्रीव, उनके भाई, वानर, भालू और अन्य लोग भी साथ में हैं.