एक प्रयास ---------भूख एक आवश्यकता और भूखमरी एक समस्या कुल मिला कर भूख ही समस्या बन गयी है
हमारी सरकार छब्बीस और तीस रुपये तय करती है गरीब आदमी की थाली के लिए ......
संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ज़्यादा से ज़्यादा कीड़े खाने से वैश्विक भुखमरी से निबटा जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संस्था ने कहा है कि कीड़े खाने से शरीर को पौष्टिक आहार मिल सकता है और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिल सकती है.
कीड़ों की खेती ‘खाद्य संकट से बचने का एक रास्ता हो सकता है’.
रिपोर्ट के अनुसार, “कीड़े सभी जगह मिल जाते है और इनकी पैदाइश भी तेज़ी से होती है, इसका पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.”
रिपोर्ट तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि कीड़ें पौष्टिक होते हैं, इनमें प्रोटीन, फैट और मिनरल भरपूर होते हैं. ये ‘कुपोषित बच्चों के लिए पोषक तत्वों का काम करता है’.
कीड़े दूसरे जानवरों के अनुपात में दूषित गैसों का बेहद कम उत्सर्जन करते हैं. दुनिया के कई देशों में कीड़ों का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है लेकिन पश्चिमी देशों में इसे विचित्र माना जाता है.
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगर होटल और रेस्त्रा उद्योग के लोग कीड़ों को अपने मेन्यू में शामिल कर लें तो कीड़ों की खपत बढ़ेगी. कीड़ों को खाद्य उद्योग में शामिल करने की वकालत भी की गई है.
हमारी सरकार छब्बीस और तीस रुपये तय करती है गरीब आदमी की थाली के लिए ......
तो संयुक्त राष्ट्र तो कमाल दिखा रहा है पढ़िए एक रिपोर्ट -------
संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ज़्यादा से ज़्यादा कीड़े खाने से वैश्विक भुखमरी से निबटा जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संस्था ने कहा है कि कीड़े खाने से शरीर को पौष्टिक आहार मिल सकता है और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिल सकती है.
कीड़ों की खेती ‘खाद्य संकट से बचने का एक रास्ता हो सकता है’.
रिपोर्ट के अनुसार, “कीड़े सभी जगह मिल जाते है और इनकी पैदाइश भी तेज़ी से होती है, इसका पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.”
रिपोर्ट तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि कीड़ें पौष्टिक होते हैं, इनमें प्रोटीन, फैट और मिनरल भरपूर होते हैं. ये ‘कुपोषित बच्चों के लिए पोषक तत्वों का काम करता है’.
कीड़े दूसरे जानवरों के अनुपात में दूषित गैसों का बेहद कम उत्सर्जन करते हैं. दुनिया के कई देशों में कीड़ों का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है लेकिन पश्चिमी देशों में इसे विचित्र माना जाता है.
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगर होटल और रेस्त्रा उद्योग के लोग कीड़ों को अपने मेन्यू में शामिल कर लें तो कीड़ों की खपत बढ़ेगी. कीड़ों को खाद्य उद्योग में शामिल करने की वकालत भी की गई है.
हे भगवान, तो अब कीडे खाने पडेंगें?:)
ReplyDeleteरामराम.
राम बचाना .............
Deleteराम -राम ताऊ
ओह,बेहद ही रोचक जानकारी,आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी
Deleteकुछ कागज पर लिखो रोटियां
ReplyDeleteभूख लगने पर कच्चा चबाओ
अब तो यही होगा
और तो और अब कीड़े चबाना पड़ सकता है
चेतावनी देती पोस्ट
सादर
सच कहा ज्योति जी समय बड़ा बलवान है
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (15-05-2013) के "आपके् लिंक आपके शब्द..." (चर्चा मंच-1245) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार ज्योति जी
Deleteकीडे़ हो ही गये जब तो कीडे़ खाने से कैसा परहेज ! अच्छा सुझाव है !
ReplyDeleteक्या बात कही सुशील जी .........
Delete'जब कीड़े ही हो गए'
बिलकुल सच कहा आपने ............धन्यवाद
क्या कहें ....दुनियाभर में जाने कितना अन्न बर्बाद होता है हर दिन , उसे सहेजने की सोची होती ...
ReplyDeleteसरकार सोचती नही ........और कई जगह तो अनाज पीने की फिक्र में सड़ता है
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ReplyDeleteअब पडोसी देश के सामान कीड़े मकोड़े के आचार भी खाना पड़ेगा
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latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
सच कहा कालीपद जी ..........
Deleteसभी मित्रों का सादर आभार
ReplyDeleteआने वाले समय की चेतावनी...
ReplyDeleteजी कैलाश जी
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