Saturday 27 September 2014

अमेरिका यात्रा

 एक प्रयास ---------


पी एम यान न्यूयार्क मेँ 
 भारत 'मंगलमय' और अमेरिका 'नमोमय':)

Thursday 25 September 2014

24 सितम्बर २०१४ भारत के लिए सुनहरा दिन -ऐसा रहा मार्स ऑर्बिटर मिशन का 300 दिन का सफर

एक प्रयास ---------
24 सितम्बर २०१४ भारत के लिए सुनहरा दिन बन गया एक अनोखा इतिहास लिख डाला हमारे वैज्ञानिकों ने -----
सभी वैज्ञानिक बने बधाई के पात्र उन्ही के प्रयासों से भारत के इतिहास में आज का दिन 
'स्वर्णाक्षरों' में लिखा गया , एक अनोखा इतिहास लिखा गया सभी वैज्ञानिकों को इस अभियान से जुड़े हर व्यक्ति को दिल से बधाई उन्होंने विश्व में भारत का नाम उंचा किया 

















भारत ने आज अपने मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को लाल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। 

इस उपलब्धि तक पहुंचने में यान को 300 दिन का समय लगा। 


 मंगलयान के 300 दिन तक के सफर में हुई घटनाओं का घटनाक्रम 

5 नवंबर 2013: ---


इसरो के पीएसएलवी सी 25 ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया।

 7 नवंबर: पहली पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न।
 8 नवंबर: दूसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न।
 9 नवंबर: तीसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न।
 11 नवंबर: चौथी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न।
 12 नवंबर: पांचवी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न।
 16 नवंबर: छठी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न। 

 
 1 दिसंबर:

एमओएम ने छोड़ी पृथ्वी की कक्षा,
 मंगल की ओर रवाना (ट्रांस मार्स इंजेक्शन)

 4 दिसंबर

एमओएम 9.25 लाख किलोमीटर के दायरे वाले पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला।
 
 11 दिसंबर: 

अंतरिक्षयान पर पहली दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न।
 
 11 जून 2014

दूसरी दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न।



 22 सितंबर

एमओएम ने किया मंगल के गुरूत्वीय क्षेत्र में प्रवेश, 
300 दिन तक निष्क्रिय पड़े रहने के बाद 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर का प्रायोगिक परीक्षण,
यानी उसे चला कर देखा गया , चार सेकण्ड तक चलाया गया और जब वो चल गया तो वैज्ञानिकों ने चैन की साँस ली
अगर कहीं वो फेल हो जाता तो अभियान की सफलता पर प्रश्नचिंह लग सकता था  

अंतिम पथ संशोधन कार्य संपन्न।

 24 सितंबर:
एमओएम मंगल की लक्षित कक्षा में पहुंचा,
दुनिया के ५१ मिशन में से २१ मिशन  ही सफल हुए और उसमे से हम एक हैं
१२ मिनट २८ सेकण्ड बाद यान से संकेत मिलने शुरू हो गए ........


मंगल यान के खच महत्वपूर्ण बिंदु -------
 १-भारत कम लागत में भेजने वाला पहला देश बना दुनिया भर में 
२-४५० करोड़ रुपये की लगत वाला मंगल यान सबसे किफायती और सफल अभियान
३-इसे भेजने के बाद दुनिया में 
यूरोपीय संघ , अमेरिका , रूस के बाद चौथे नंबर पर भारत ,
४-एशिया में नबर एक बना भारत
५-यूरोपीय संघ , अमेरिका , रूस के यान मंगल पर गए अवश्य पर के प्रयास  के बाद
६-मंगल यान लाल ग्रह की सतह और उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करेगा 

७-मीथेन गैस की खोज भी करेगा और मीथेन का लक्ष्य ले जाने वाला पहला यान है ये 
७-मीथेन जीवन संबधी मुख्य रसायन है .....
अगर वहां मीथेन मिला तो जानिये जीवन संभव है वहां |

'इसरो' ने जारी की मंगल यान की भेजी पहली तस्वीर-२५ सितम्बर 
२२ सितम्बर २०१४ को भारत के यान का स्वागत करने हेतु नासा का "मावेन मिशन "
पहले ही स्थापित था लेकिन मंगल यान की चकाचोंध में उसकी चमक कहीं खो गयी ........
कम से कम भारत के किसी भी समाचार एजेंसी ने इसकी सुध नहीं ली .........
इसका बजट मंगल यान से दस गुना अधिक है ........
इतिहास में पहली बार दो देशों के मंगल अभियान एक साथ संपन्न हुए
'मावेन' अमेरिका का १५ वां अभियान है नासा के शुरू के छह अभियान विफल हुए 

लेकिन 'मावेन' को मिला कर नौ अभियान सफल हुए
२००३ --यूरोपीय एजेनसी का मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर
जापान ने भी प्रयास किया पर विफल हुआ
रूस का विफल अभियान फोबोस ग्रन्ट मिशन जो प्रथ्वी की कक्षा से बाहर ही नहीं आया था | 

भारत की प्रतिभायेँ

एक प्रयास ---------
भारत प्रतिभा सम्पन्न देश है भारत की प्रतिभायेँ समय-समय पर चका-चौँध करती रहती हैँ ।
कम लागत मेँ पहली बार की सफलता 'सोने पर सुहागा' जैसी है  
'ऐसी ही एक घटना जनसत्ता मेँ पढ़ी थी ।
अस्सी के दशक की है मथुरा रिफाइनरी मेँ कुछ तकनीकी ख़राबी आ गयी 
तब विदेशी समाधान की खोज की गयी लेकिन समय और होने वाला व्यय बहुत अधिक था 
तब हमारे अपने वैज्ञानिक आगे आये और उन्होने बहुत कम समय और बहुत कम लागत मेँ समस्या सुलझा ली
' आज अचानक ये घटना याद आ गयी। 
ऐसा है मेरा महान भारत और उसकी प्रतिभाएं
भारतीय प्रतिभाओँ की उपलब्धि को मेरा नमन
जय हिन्द जय भारत 

हमारा गर्व --------

एक प्रयास ---------
अब आदत डाल लिजिये सिर्फ़ 'नासा' ही नही 'इसरो' भी ख़ोजिये -
-'इसरो' ने जारी की मंगल यान की भेजी पहली तस्वीर-

लेखक की कलम आज सार्थक

एक प्रयास ---------

चंदा ने अपनी छाती पर तो नही चढ़ने दिया पर 
बचपन मेँ चंपक मेँ पढ़ी बाल कविता के लेखक की कलम आज सार्थक हो गयी 
तिरंगा मंगल पर लहरा भारत का मान बढ़ा रहा है-- 


तारोँ के संग चंदा बैठा, हँस-हँस मुझे चिढ़ाता है ।
रोज़ बुलाता हूँ मैँ उसको, वह अपनी अकड़ दिखाता है। 
एक बड़े राकेट पर चढ़ कर चंद्रलोक को जाऊँगा,
छाती पर चंदा की चढ़ कर मंगल का पता लगाऊँगा ।
खोज करुँगा मंगल तारा ,राष्ट्रधवजा फहराऊँगा ,
ऊँची करके राष्ट्र पताका भारत का मान बढ़ाऊँगा ।-----
आज सालों बाद आ ही गया वो दिन -----------हर भारत वासी ढेरों बधाई