Showing posts with label कविता. Show all posts
Showing posts with label कविता. Show all posts

Thursday, 16 January 2014

मोदी जी की कविता

एक प्रयास ---------80 के दशक में लिखी गयी मोदी जी की यह कविता आप भी पढि़ए..

उत्सव
पतंग..मेरे लिए उ‌र्घ्वगति का उत्सव,
मेरा सूर्य की ओर प्रयाण।

पतंग..मेरे जन्म-जन्मांतर का वैभव,
मेरी डोर मेरे हाथ में..
पदचिन्ह पृथ्वी पर,

आकाश में..
विहंगम दृश्य सेसा,
मेरा पतंग..अनेक पतंगों के बिच,
मेरा पतंग उलझता नहीं..

वृक्षों की डालियों में फंसता नहीं..
पतंग..मानो मेरा गायत्री मंत्र,
धनवान हो या रंक,
सभी को..
कटी पतंग एकत्र करने का आनंद होता है।
बहुत ही अनोखा आनंद,
कटी पतंग के पास..

आकाश का अनुभव है.
हवा की गति और दिशा का ज्ञान है..
स्वयं एक बार ऊंचाई तक गया है वहां कुछ क्षण रुका है।
इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

पतंग..मेरा सूर्य की ओर प्रयाण..
पतंग का जीवन उसकी डोर में है।
पतंग का आराध्य (शिव) ब्योम (आकाश) में..

पतंग की डोर मेरे हाथ में..
मेरी डोर शिव जी के हाथ में..
जीवन रूपी पतंग के लिये (हवा के लिये),
शिव जी हिमालय में बैठे हैं।

पतंग के सपने (जीवन के सपने),
मानव से ऊंचे..
पतंग उड़ती है, शिव जी के आस-पास,
मनुष्य जीवन में बैठा - बैठा ..
उसको (डोर) सुलझाने में लगा रहता है।