Friday 28 March 2014

--1983 की विश्वकप जीत बड़े पर्दे पर-----

एक प्रयास --------
25 जून 1983 का दिन भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.
जब कपिल देव ने भारत के कप्तान की हैसियत से विश्व कप ट्रॉफ़ी लॉर्ड्स के मैदान में थामी थी.

अब इस ऐतिहासिक जीत को बड़े पर्दे पर लायेंगे निर्देशक संजय पूरन सिंह
फ़िल्म के निर्माता हैं विष्णु वर्धन इंदुरी जो सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग के संस्थापक हैं.
शूटिंग लॉर्ड्स में -होगी ----



मुझे ख़ुशी है कि भारतीय क्रिकेट का एतिहासिक दिन फिल्माया जाएगा !!

लेकिन क्या हॉकी का कोई अधिकार नहीं ?
तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के
सदस्य मेजर ध्यान चंद भी इसके अधिकारी हैं ............
बहुत प्रसन्नता की बात होगी यदि उनकी उपलब्धि पर भी कोई फिल्म बनायी जायेगी 

एक प्रयास ---------सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह के फांसी दिए जाने की ख़बर - 
लाहौर से प्रकाशित द ट्रिब्युन के मुख्य पृष्ठ पर।


Wednesday 26 March 2014

---देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी---

एक प्रयास ---------देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी---

देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी 16वीं लोकसभा के चुनाव में भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 
इसके लिए वह खासे उत्सुक भी हैं।

देश में लोकतांत्रिक प्रणाली के लागू होते ही १९५१ में सबसे पहले हुए मतदान के दौरान
 पहला मतदान करने का सौभाग्य किन्नौर जिला के कल्पा निवासी श्याम शरण नेगी को प्राप्त हुआ था।

तब वह शिक्षक थे और तभी से वह न केवल लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाग ले रहे हैं, 
बल्कि पंचायत स्तर के हर चुनावों में भी हिस्सा लेते हैं।

Sunday 23 March 2014

शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार का दुर्लभ चित्र....!!!

एक प्रयास ---------शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार का दुर्लभ चित्र....!!!

इतिहासकार बताते हैं कि फाँसी को लेकर जनता में बढ़ते रोष को ध्यान 
में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में कर दिया थाl 
परन्तु यह बात आँधी की तरह फिरोजपुर से लाहौर तक शीघ्र पहुँच गई । 

अंग्रेज फौजियों ने जब देखा कि हजारों लोग मशालें लिए उनकी ओर आ रहे हैं तो वे वहाँ से भाग गए।
तब देशभक्तों ने उनके शरीर का विधिवत् दाह संस्कार किया।
 



लुधियाना में सुखदेव थापर का मकान 


सरदार भगत सिंह जी के दादा 


बर्फ़ीले अंटार्कटिका पर किसका है हक़?

एक प्रयास ---------
चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा 24 जनवरी, 2013 को अंटार्कटिका पहुँचे. 
वहाँ की धरती के एक हिस्से पर अपना हक़ जताने के लिए. 
चिली के राष्ट्रपति ने बाक़ायदा अंटार्कटिका की धरती पर 
पटी बर्फ़ के गहरे चादर में झंडा गाड़कर ऐलान किया कि
 उस जगह पर चिली का रिसर्च स्टेशन बनेगा.
अंटार्कटिका हमारी धरती का सबसे निचला हिस्सा है. 
यहाँ सूरज की रोशनी भी सीधी नहीं पहुँच पाती है. 
हर तरफ शानदार सफ़ेद बर्फ़ की ऊँची-नीची पहाड़ी है 
जिस पर अब तक किसी का कोई हक़ नहीं था.
लेकिन अब इस पर कई राष्ट्र एक साथ दावा करने लगे हैं.
चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा ने जब अंटार्कटिका पर अपना झंडा गाड़ा तब उन्होंने अपने देश का इरादा कुछ इस तरह से व्यक्त किया, 
''ये हमारा अगला कदम है. हम अंटार्कटिका में अपनी मौजूदगी को पुख्त़ा कर रहे हैं. हम उस महाद्वीप पर अपना दावा पेश कर रहे हैं जो हमारे देश के नज़दीक है और भविष्य का महाद्वीप है.''
अंटार्कटिका
अंटार्कटिका धरती का सबसे निचला हिस्सा है जहां आसानी से सूरज की रौशनी भी नहीं पहुंच पाती है

बढ़ती दिलचस्पी

19वीं सदी में लोगों को अंटार्कटिका के अस्तित्व का पता तक नहीं था 
मगर अब वहाँ पाँव जमाने की होड़ सी मच गई है 
जिसकी शुरूआत पिछले साल दिसंबर महीने में ब्रिटेन ने की थी.
पिछले महीने ही ब्रिटेन की सरकार ने महारानी एलिज़ाबेथ की ताजपोशी के 60 साल पूरे होने के मौक़े पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नाम महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर रखने की घोषणा की थी 
जिसका अर्जेंटीना ने कड़ा विरोध किया था.
"

जब विदेश मंत्री विलियम हेग ने महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नामकरण करने की घोषणा की तब अर्जेंटीना ने ब्रिटेन के राजदूत को तलब कर लिया और उनके दावे पर कड़ा ऐतराज़ जताया.
अर्जेंटीना का दावा है कि अंटार्कटिका के जिस हिस्से पर ब्रिटेन अपना दावा पेश कर रहा है असल में वो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
हालांकि, अंटार्कटिका की धरती पर किए जा रहे इन दावों को कोई नहीं मानता 
मगर दावेदारी की बढ़ती संख्या को देखते हुए करीब पचास साल पहले एक समझौता हुआ था 
जिसमें तय किया गया था कि अंटार्कटिका में कोई सैनिक या औद्योगिक गतिविधि नहीं होगी.

भारत की दिलचस्पी

अंटार्कटिका के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं लेकिन हाल के दिनों में दावों को लेकर ब्रिटेन का विवाद सबसे ज्य़ादा चिली और अर्जेंटीना के साथ है.
लेकिन ऐसा देखा गया है कि पिछले कुछ सालों से कई कारणों के कारण अंटार्कटिका में विभिन्न देशों की दिलचस्पी बढ़ी है.
कुछ समय पहले ही कंबरिया के एक जुनूनी, लियो हाउलडिंग ने 
अंटार्कटिका की दो हज़ार मील की यात्रा कर वहां से फोनकॉल करने का रिकॉर्ड बनाया.
लियो हाउलडिंग अंटार्कटिका के बारे में पता लगाने वाले अभियान दल 'वुल्फ्स टूथ' के सदस्य हैं.
ज़ाहिर सी बात है कि एक फोनकॉल करने के लिए अंटार्कटिका कोई आसान जगह नहीं है.
इससे पहले एक ब्रितानी टीम ने अपने 12 सदस्यों का एक वैज्ञानिक दल अंटार्कटिका भेजा था. 
ये अभियान दल अंटार्कटिका की गहराई में दबी एक नदी 'एल्सवर्थ' का अस्तित्व तलाशने वहां गया था.




ये लोग वहां कई मीलों तक फैले बर्फ में नदी को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे.
अंटार्कटिका में भारत की गहरी दिलचस्पी रही है, पिछले 30 वर्षों में भारत ने 30 अभियान दल वहाँ भेजे हैं.
अंटार्कटिका
अंटार्कटिका पर झंडा गाड़ते चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा

भारत ने अपने वैज्ञानिकों का सात सदस्यीय दल पहली बार 1981 में अंटार्कटिका भेजा था. 
भारत के कई वैज्ञानिक अंटार्कटिका पर अनुसंधान कर रहे हैं.
अभी तक अंटार्कटिका को लेकर टकराव की नौबत तो नहीं आई है 
लेकिन ये कहना मुश्किल है कि ये स्थिति कब तक ऐसी ही बनी रहेगी.

Saturday 22 March 2014

शत -शत नमन

एक प्रयास ---------देश के लिए मर -मिटने वाले तीन दीवाने .........


रामायण की पांडुलिपि का डिजिटल संस्करण

एक प्रयास ---------17वीं सदी की रामायण की पांडुलिपि को 19वीं सदी के शुरुआत में 
ब्रिटेन और भारत के बीच बांटा गया था 
और अब ब्रिटिश लाइब्रेरी और मुंबई के सीएसएमवीएस संग्रहालय ने इसका डिजिटल संस्करण पेश किया है. 


  • रामायण पांडुलिपि
    इस पेंटिंग के ऊपरी दाहिनी हिस्से में रामायण के नायक राम को 
  • उनके पिता कह रहे हैं कि उनके बाद वह राजा बनेंगे.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम की सौतेली मां ने जब अपने बेटे भरत को राजा बनाने के लिए हस्तक्षेप किया 
  • तब अपनी पत्नी और भाई के साथ वनवास पर जाते राम.
  • रामायण पांडुलिपि
    इस पेंटिंग में विभिन्न दृश्य दिखाई दे रहे हैं 
  • जिसमें इस यात्रा के विभिन्न चरणों में पात्रों को दिखाया गया है. 
  • वनवास के बाद जंगल में भटकने के दौरान उन्होंने अपने रहने की जगह बनाई. 
  • राम पहाड़ के रास्ते जाते हुए जहां फूलों वाले पेड़-पौधे देखकर वे हैरान हो रहे हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    मेवाड़ रामायण की 1,200 पृष्ठों वाली पांडुलिपि एक लिपिक ने लिखा था 
  • लेकिन इसके अलावा भी कई कलाकार इससे जुड़े थे. 
  • अयोध्या राज्य में राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रखा गया है. 
  • उनके सौतेले भाई भरत ने राम को वापस लाने के लिए राज़ी करने की कोशिश की
  •  जो भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं.
  •  उन्होंने 14 साल तक के वनवास का वचन पूरा करने के लिए
  •  वापस आने के लिए इनकार कर दिया.
  • रामायण पांडुलिपि
    17वीं सदी में राजस्थान की शाही अदालत में पेश की जाने वाली 
  • इस पांडुलिपि को रामायण का बेहद अहम और 
  • सुंदर संस्करणों में से एक माना जाता है.
  •  इस तस्वीर में राम और उनके भाई ने वानर सेना की मदद ली 
  • जब राम की पत्नी सीता का अपहरण एक दानव राजा ने कर लिया. 
  • राम एक युद्ध में धनुष से वार करते हुए. 
  • उन्होंने वानर राजा सुग्रीव के साथ भी गठजोड़ किया.
  • रामायण पांडुलिपि
    19वीं सदी के शुरुआत में राजस्थान में ब्रिटिश अधिकारी को पांडुलिपि के 
  • कुछ हिस्से को उपहार के तौर पर पेश किया गया था. 
  • इसमें सुग्रीव अपनी सेना को अपहरण कर ली गई 
  • सीता को खोजने के लिए अलग-अलग हिस्से में बांट रहे हैं. 
  • राम ने निशानी के तौर पर अपनी अंगूठी हनुमान को दे दी
  •  जो दक्षिण के अभियान का नेतृत्व करेंगे.
  • रामायण पांडुलिपि
    हनुमान लंका द्वीप पर सीता को ढूंढ लेते हैं जहां सीता दानव सेना से घिरी हुई हैं.
  •  सीता कहती हैं कि उन्हें बचाने की ज़िम्मेदारी वह हनुमान को नहीं दे सकती हैं 
  • क्योंकि यह काम सिर्फ़ राम को ही करना होगा. 
  • हालांकि वह भी राम के लिए निशानी के तौर पर एक गहना भेजती हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    राक्षसों के साथ एक भयंकर लड़ाई में हनुमान घायल हो गए 
  • और उन्हें पकड़ लिया गया. 
  • सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा के हस्तक्षेप से वह बचे. 
  • हालांकि हनुमान ने रावण से मिलने के लिए 
  • आत्मसमर्पण करने का फ़ैसला किया.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ आगे बढ़ रहे हैं 
  • और लंका पर हमला करने के लिए वानरों की एक सेना भी आगे बढ़ रही है.
  •  उन्होंने उत्तरी द्वार पर हमला किया जहां दानव राजा रावण का गढ़ है.
  • रामायण पांडुलिपि
    इस भीषण लड़ाई में रावण ने लक्ष्मण पर हमला कर दिया.
  • हनुमान ने क़ैद से निकलकर रावण के राज्य में भारी तबाही मचाई 
  • और उनके हमले से रावण गिर पड़े. 
  • बाईं तरफ़ घायल लक्ष्मण भी अपने भाई के पैरों के पास पड़े हुए हैं.
  • रामायण पांडुलिपि
    राक्षसों की एक सेना रावण के विशालकाय भाई 
  • कुंभकर्ण को जगाने की कोशिश में जुटे हैं
  •  ताकि उन्हें भी लड़ाई में शामिल किया जाए. 
  • उनके लिए काफ़ी मात्रा में खाना और मृत जानवर परोसा गया है 
  • ताकि वह जगने पर खाएं. कुंभकर्ण को ज़्यादा सोने का शाप मिला था.
  • रामायण पांडुलिपि
    राम लंका में विजय हासिल करने के बाद सरयू नदी के
  •  तट पर जुलूस के साथ आते हैं. 
  • उनके साथ सुग्रीव, उनके भाई, वानर, भालू और अन्य लोग भी साथ में हैं.

Sunday 16 March 2014

शुभकामनाएं ...

एक प्रयास ---------होली का पावन पर्व आप सब के लिए मंगलमय हो ,शुभ हो
सबके जीवन में खुशिया आयें ...........
रंगों का ये त्योहार खुशियों के सारे रंग समेट लाये
आप सभी को इस अवसर पर अनंत शुभकामनाएं ..........
Like ·  · Promote · 

एक प्रयास-कुरीतियों को तोड़ पहली बार अबीर-गुलाल से सराबोर वृन्दावन की विधवा महिलायें--

एक प्रयास ---------
भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृन्दावन में विधवा महिलाओं ने 
सदियों से चली आ रही कुरीतियों को तोड़ते हुए पहली बार अबीर-गुलाल से रंग भरी होली खेली.

बुजुर्ग विधवाओं में से ही कुछ एक ने राधा-कृष्ण और गोपियों के रूप धर कर 
एक-दूसरे से जमकर होली खेली.
इस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने करीब ढाई क्विंटल गुलाल और चार सौ किलो फूलों की वर्षा कर 
अपनी खुशी का इजहार किया.

यह संभवत: पहला मौका था जब महिलाओं का उल्लास फूट पड़ रहा था. 
उनको यह अवसर उपलब्ध कराया गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने.

इस संगठन ने वृंदावन की 1000 विधवाओं के जीवन-स्तर में सुधार के लिए न केवल तमाम उपाय किए हैं, बल्कि<img>उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी तमाम प्रयास किए हैं.

इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया डॉ बिन्देश्वरी पाठक ने कहा 
कि उन्होंने विधवा और समाज से कटे महिलाओं को भी सामान्य 
जीवन व्यतीत करने का मौका देने के लिए होली के इस कार्यक्रम का आयोजन किया है.

पाठक ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित इस कार्यक्रम से दुनिया 
भर में यह संदेश जाएगा कि भारत की विधवा महिलाओं ने सदियों से 
चली आ रहीं कुरीतियों की बेड़ियां तोड़ दी हैं. 
अब वे भी अन्य जनसामान्य के समान ही जीने का अधिकार रखती हैं.

पाठक ने महिलाओं से अपील की कि वे मनचाहा भोजन करें, गाएं-बजाएं, 
अपनी इच्छानुसार गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शामिल हों 

और यदि चाहें तो मनचाहे <img>साथी के साथ शादी कर घर बसाएं.

उन्होंने कहा कि अगले चरण में सुलभ का प्रयास होगा कि 
ये महिलाएं गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य की अलख जगाएं.
   
उन्होंने कहाकि इन महिलाओं को नर्सिंग के सामान्य कार्यों 
का प्रशिक्षण देकर तथा अहानिकारक दवाओं की जानकारी देकर 
उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार का आयोजन वाराणसी में भी किया जा रहा है.













Monday 10 March 2014

#इतिहास में भारतीय लोकतंत्र ( २५-१०-१९५१ से २१-०२-१९५२ )

एक प्रयास ---------

१-२५ अक्तूबर १९५१---- पहले आम चुनाव में ,देश का पहला वोट हिमाचल के चिनी तहसील में पडा था .......
२-कांग्रेस की सर्वोच्चता को चुनौती देते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जन्सघ की स्थापना की ........
३-बाबा आंबेडकर ने शेड्यूल कास्ट फेडरेशन को जीवित किया बाद में इसे रिपब्लिकन पार्टी से जाना गया ......
४-कांग्रेस ने ४८९ में से ३८९ सीट जीती , उस समय विपक्षी नेता का चलन नहीं था 
५-प्रथम लोकतंत्र के प्रधान मंत्री बन गए राजवंशी नेहरु जी .........

------# इतिहास में भारतीय लोकतंत्र (२४-०२-१९५७ से ०९-०६-१९५७ )

एक प्रयास --------

१-दूसरी लोकसभा में भी नेहरूजी को बहुमत मिला और फिर सत्ता पर काबिज़ हो गए

२- फ़िरोज़ गांधी भी दूसरी बार राय बरेली से जीते ......
.........फिरोज गांधी को आदर्शवादी राजनीतिज्ञ माना जाता था. .
उनके विचार नेहरू जी से नहीं मिलते थे इसलिए कई मौको पर नेहरू सरकार की निंदा भी की.
आजादी के बाद बहुत से 
व्यावसायिक घरानों और नेताओं की गलत क्रियाकलापों को सामने लाने का साहस फ़िरोज़ गांधी ने ही किया
1956 में फिरोज गांधी ने तब देश के सबसे अमीर लोगों में एक रामकिशन डालमिया का घपला उजागर किया जो सरकार के बहुत करीब थे. डालमिया को दो साल की जेल हुई. 
1958 में फिरोज गांधी ने देश के सबसे बड़े पहले वित्तीय घोटाले 'हरिदास मूंदड़ा घोटाला' उजागर किया 
जिसके बाद नेहरू सरकार की साफ़ -सुथरी छवि धूमिल हुई और दोनों के सम्बन्ध भी बिगड़ गए ...........

३- २-एक अटल व्यक्तित्व 'अटल जी' भी पहली बार जनसंघ से संसद में पहुंचे

Friday 7 March 2014

------एक मुफ्त सलाह----

एक प्रयास -------
अखिलेश यादव को इस बार अपने चहेतोँ के साथ पाक चुनाव मेँ उतरना चाहिये ! 
हाफ़िज़ सईद का अच्छा समर्थन मिलेगा और सबसे बड़ी बात
 अपने मन की बात कह पायेँगे जिसका समर्थन करते हैँ पर कह नही पाते उनका मनपसंद वाक्य-'पाकिस्तान ज़िँदाबाद'

मौत का कुआं सुना रहा है मार्मिक आपबीती और उगल रहा है क्रान्तिकारियों की अस्थियां---

एक प्रयास ---------मौत का कुआं सुना रहा है मार्मिक आपबीती
 और उगल रहा है क्रान्तिकारियों की अस्थियां---

खुदाई में अब तक 100 से अधिक क्रान्तिकारियों की अस्थियां
अभी भी खुदाई निरिन्तर जारी है।

जब से खुदाई शुरू की गई है। 
रोजाना गांव में खुदाई कार्य के दौरान मेला सा लग रहा है 
और जैसे-जैसे मिट्टी से अस्थियों का ढेर निकलता है, 
मौजूद लोगों की आंखों से आंसूओं की धारा माहौल को गमगीन कर देती है।
ईस्ट इंडिया कम्पनी की मुहर वाले सिक्के और ज्वैलरी भी मिली
अस्थियों के मिलने तक यह खुदाई जारी रहेगी।

अगस्त 1857 में अमृतसर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हैनरी कूपर 
और कर्नल जेम्स जॉर्ज ने इस नरसंहार की योजना बनाई थी।

कूपर ने अपनी पुस्तक "द क्राइसिस ऑफ पंजाब" में भी इस घटना का उल्लेख किया है। 

नरसंहार में मारे गए क्रान्तिकारी अंग्रेजों की बंगाल नेटिव इन्फेंट्री से सम्बद्ध थे, 
जिन्होंने बगावत कर दी थी।
इनमें से अंग्रेजी सेनाओं ने 150 का गोली मार दी, 
जबकि 283 सिपाहियों को रस्सियों से बांध कर अजनाला लाया गया 
और इस कुुएं में फेक दिया गया था।
---

Saturday 1 March 2014

157 साल बाद होगा शहीदों का अंतिम संस्कार----

एक प्रयास ---------

चलो कोई तो याद आया !! कुछ संस्कार हैं शायद उनकी किस्मत में .......!!!

अनाम देश भक्तों को देश की भाव-भीनी श्रधान्जली.........

अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की लड़ाई में पंजाब में शहीद हुए 
250 से ज्यादा सैनिकों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

इतिहासकार सुरिंदर कोछड़ ने काफी मेहनत के बाद एक कुएं को खोज निकाला 
जो अंग्रेजों के बर्बर चेहरे को दिखलाता है।

 पंजाब के अजनाला में इस कुएं की 157 साल बाद खुदाई हो रही है। 

मकसद है 282 शहीदों के अवशेष तलाशना।

1857 की लड़ाई में अंग्रेजों ने 237 सैनिकों को गोली मारकर 
जबकि 45 सैनिकों को जिंदा ही इस कुएं में दफना दिया था। 

कुछ सालों बाद इस जगह पर गुरुद्वारा बनाया गया, 
लेकिन ये मामला सामने आने के बाद एक साल में पहले यहां दूसरा गुरुद्वारा तैयार किया गया, 
फिर पुराने गुरुद्वारे को हटाया गया। 

और अब सरकार ने तय किया है कि भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों को पूरा सम्मान दिया जाएगा, 
साथ ही उनकी अस्थियों को प्रवाहित भी किया जाएगा।

अनाम देश भक्तों को देश की भाव-भीनी श्रधान्जली.........