Monday 1 July 2013

नासा ने 25 दिन पहले दे दिए थे तबाही के संकेत


काश! अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 25 दिन पहले जारी किए गए सेटेलाइट चित्रों के संकेत भांप लिया जाता तो केदारघाटी में तबाही के तूफान को थामा जा सकता था। 
नासा से जारी चित्रों से साफ हो रहा है कि किस तरह केदारनाथ के ऊपर मौजूद चूराबारी व कंपेनियन ग्लेशियर की कच्ची बर्फ सामान्य से अधिक मात्रा में पानी बनकर रिसने लगी थी।
नासा ने लैंडसेट-8 सेटेलाइट से हादसे से पहले 22 मई को केदारनाथ क्षेत्र के चित्र लिए। जिसमें पता चला कि ग्लेशियर के अल्पाइन जोन से लगे भाग की बर्फ कम होती जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह तभी होता है जब ग्लेशियर की कच्ची बर्फ के पिघलने व जमने का अनुपात गड़बड़ा जाता है। 
नासा की तस्वीरों के अनुसार इसी वजह से करीब 25 दिन पहले से ही केदारनाथ घाटी में ग्लेशियर से निकलने वाले पानी का बहाव तेज होने लगा था। 
यदि तंत्र तभी सक्रिय हो जाता, तो हादसा होने से पहले ही उचित आपदा प्रबंधन किए जा सकते थे। पर अफसोस कि ऐसा हो नहीं सका।
इन चित्रों का अध्ययन करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की दुरहम यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ जियोग्राफी के प्रो. दवे पेटले ने भी एक रिपोर्ट जारी की है। 
रिपोर्ट के मुताबिक गर्मियों के शुरुआती महीनों में इस तरह ग्लेशियर से बर्फ पिघलने की स्थिति खतरे का संकेत थी, फिर भी इसे नजरंदाज किया जा सकता था, यदि भारत में मानसून करीब 10 दिन पहले नहीं आता। 
बाकी का काम 14 से 16 जून के बीच हुई जबरदस्त बारिश ने कर दिया। यदि मानसून समय से पहले नहीं आता तो बर्फ पिघलने की वह दर और तेज नहीं होती। 
प्रो. दवे की रिपोर्ट में दोनों ग्लेशियर की जलधाराओं के मध्य एक अन्य जलधारा शुरू होने का भी जिक्र है। 
हालांकि खुद को केदारनाथ क्षेत्र के भौगोलिक स्वरूप से अनजान बताते हुए उन्होंने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ इतना कहा कि तबाही का जमीनी अध्ययन भी जरूरी है।
' हमने प्रो. दवे की रिपोर्ट का अध्ययन किया, उसमें नासा के चित्रों के आधार पर ग्लेशियर से अधिक जलस्राव की आशंका व्यक्त की गई। 
हमारी टीम ने चार जून को ग्लेशियर का अध्ययन किया था, लेकिन ऐसी आशंका नहीं थी कि ये पानी भीषण तबाही का कारण बन जाएगा।'

4 comments:

  1. क्या फ़र्क पड़ता है जब हम भारतीयों को जानवरों की तरह जीने और अब मरने की भी आदत पड़ गयी है ...!

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  2. हमको लापरवाही की ऐसी आदत है कि नासा की बजाये भगवान शंकर भी आकर कह जाते तब भी हम कोई सुरक्षा उपाय नही करते.

    रामराम.

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