Thursday 25 September 2014

लेखक की कलम आज सार्थक

एक प्रयास ---------

चंदा ने अपनी छाती पर तो नही चढ़ने दिया पर 
बचपन मेँ चंपक मेँ पढ़ी बाल कविता के लेखक की कलम आज सार्थक हो गयी 
तिरंगा मंगल पर लहरा भारत का मान बढ़ा रहा है-- 


तारोँ के संग चंदा बैठा, हँस-हँस मुझे चिढ़ाता है ।
रोज़ बुलाता हूँ मैँ उसको, वह अपनी अकड़ दिखाता है। 
एक बड़े राकेट पर चढ़ कर चंद्रलोक को जाऊँगा,
छाती पर चंदा की चढ़ कर मंगल का पता लगाऊँगा ।
खोज करुँगा मंगल तारा ,राष्ट्रधवजा फहराऊँगा ,
ऊँची करके राष्ट्र पताका भारत का मान बढ़ाऊँगा ।-----
आज सालों बाद आ ही गया वो दिन -----------हर भारत वासी ढेरों बधाई 

1 comment:

  1. वाह बहुत अच्छा अरुणा जी

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