Saturday, 16 December 2017

जब भारतीय मेजर ने ख़ुद अपना पैर काटा-----१९७१ के साहसी जनरल

एक प्रयास ---------


जब भारतीय मेजर ने ख़ुद अपना पैर काटा------------
१९ ७१ युद्ध

मेजर कार्डोज़ो ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सिलहट की लड़ाई में भाग लिया था.
उनको हेलिकॉप्टर से चारों ओर चल रही गोलियों के बीच युद्धस्थल पर उतारा गया था.
पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद जब वो उस इलाक़े में गश्त लगा रहे थे,
तो उनका पैर एक बारूदी सुरंग पर पड़ा.....
आगे की कहानी ख़ुद बता रहे हैं

उस समय मैं वेलिंगटन स्टॉफ़ कॉलेज में कोर्स कर रहा था. हमें हुक्म मिला कि आप अपने घर-परिवार को छोड़कर सीधे पलटन में पहुँचिए.
जब मैं दिल्ली पहुँचा, तो पता चला कि लड़ाई शुरू हो गई है. पालम पहुँचे, तो पता चला कि विमान कैंसिल हो गए हैं, इसलिए मुझे भागकर नई दिल्ली स्टेशन पहुँचना पड़ा.
यहाँ पहुँचे तो पता चला कि असम मेल निकल गई है. दौड़कर गाड़ी की चेनपुलिंग करके हम ट्रेन में बैठे. असम पहुँचकर हमें पता चला कि सिलहट पर क़ब्ज़े की लड़ाई चल रही है.
हम धर्मनगर पहुँचे और जीप में बैठकर एक जगह खलौरा पहुँचे. वहाँ हम हेलिकॉप्टर के इंतज़ार में थे. हम देख रहे थे कि कई हेलिकॉप्टर में बड़ी संख्या में भारतीय जवान घायल होकर पहुँच रहे थे.
हम हेलिकॉप्टर से जब वहाँ पहुँचें, तो देखा कि भारी गोलाबारी चल रही थी. मोर्टार से, तोपखाने से गोले दाग़े जा रहे थे. वहाँ भयंकर लड़ाई चल रही थी. काफ़ी जवान घायल हो रहे थे और मारे जा रहे थे. साथ ही हम अपने दुश्मन को भी नुक़सान पहुँचा रहे थे.
मैं बारूदी सुरंग में फँस गया और मेरा एक पैर उड़ गया.
मेरे साथी मुझे उठाकर पलटन में ले आए.
मॉरफ़िन और कोई दर्द निवारक दवा नहीं मिली.
मैंने अपने गुरखा साथी से बोला कि खुखरी लाकर पैर काट लो, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुआ.
फिर मैंने खुखरी मांगकर ख़ुद अपना पैर काट लिया.
उस कटे पैर को वहीं गड़वा दिया.
सीओ साहब ने बोला कि पाकिस्तान का एक युद्धबंदी सर्जन है,
मैंने उसे हुक्म दिया है कि वो ऑपरेशन करे.
 मैंने कहा कि मैं भारतीय अस्पताल में जाना चाहता हूँ लेकिन पता चला कि कोई हेलिकॉप्टर नहीं है.
फिर मैं तैयार हुआ.
मेजर मोहम्मद बशीर ने मेरा ऑपरेशन किया.
उन्होंने बहुत अच्छा ऑपरेशन किया.
मैं उसे धन्यवाद नहीं दे पाया. बीबीसी के माध्यम से उन्हें मालूम होगा कि मैं उनका आभारी हूँ.
मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ.
आज अपने नकली पैर के साथ आत्मविश्वास से भरे हैं मेजर जनरल 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-12-2017) को "राम तुम बन जाओगे" (चर्चा अंक-2821) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मनम है मेरा इन सैनानियों को ...

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