Sunday, 16 August 2020

नमन

आज मदन लाल जी की पुन्य तिथि पर एक प्रसंग याद आ गया --
है मेरे व्यक्तिगत जीवन का जो मदन लाल जैसे महान क्रांतिकारी से जुड़ा है .......

17 अगस्त 1909 को विदेशी धरती पर फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद भी मदन लाल ढींगरा की राज्य व भारत सरकार ने कोई सुध नहीं ली ..............

उनके पार्थिव शरीर को भारत में किसी के द्वारा ना मांगे जाने के कारण उनके शरीर को जेल में ही दफना दिया ..............

जहाँ कुछ समय के बाद शहीद उधम सिंह को भी फाँसी के उपरांत दफना दिया गया ...........................

लेकिन ना जाने क्यों और कैसे उनकी शहादत की याद 1976 में सरकार को आ ही गयी तब ब्रिटिश सरकार से बात--चीत के बाद दोनों क्रांतिकारियों के अंतिम अवशेष भारत में लाए गए...........................

उन दिनों हम रूडकी में रहते थे ... ............और रूडकी तब उत्तर प्रदेश में था ..........

.....तब ,आज के बहुचर्चित 'नारायण दत्त तिवारी 'उत्तर प्रदेश के 'मुख्य मंत्री' थे ...........मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ भारत आई और उन्हें विसर्जन के लिए सड़क मार्ग से हरिद्वार ले जाया जा रहा था ......

मेरे पिताजी हमें ,उस महान आत्मा की विसर्जन हेतु जाती अस्थियों के दर्शन के लिए ले गए थे ...........
...साथ में छोटी बहन Garima Saxena भी थी ..

.अस्थि कलश खुली जीप या ट्रक में रखे थे ....
और अघोषित कर्फ्यू जैसा वातावरण था ............एक दम शान्ति ........
हज़ारों की संख्या में लोग सड़क के दोनों और जमा थे ...
अपने महान क्रांतिकारी को माल्यार्पण कर श्रधांजलि दे रहे थे .......... 

........तब इस बात के गौरव को ,इसके महत्व को समझ नहीं सकी थी .. लेकिन आज वो याद ताज़ा हो गयी ....और अब में उस एतिहासिक लम्हे का साक्षी बनने के लिए बहुत ही गर्व अनुभव करती हूँ ..............
मुझे अवसर मिला उस महान व्यक्ति की अस्थियों को प्रणाम करने का .......उस वीर को शत-शत नमन .......कर बध प्रणाम ....जय हिंद ..
...............................वन्दे मातरम ..........

1 comment:

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .......
आपके विचार हमारे लिए अनमोल है .............