एक प्रयास ---------
परिवार ने माना गुमनामी बाबा ही थे 'नेताजी'
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भाई की पौत्री जयंती रक्षित और तापती घोष ने माना कि फैजाबाद के रामभवन में अंतिम सांस लेने वाले गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।
उन्होंने कहा कि उनके पास से मिले सामान, लिखावट व शौक आदि से पता चलता है कि भगवन जी के नाम से विख्यात रहे शख्स कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाषचंद बोस थे।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय को इसे संज्ञान में लेकर एसआइटी गठित कर यह जांच करवाना चाहिए कि आखिर भगवन जी के पास से मिले सामान किसके हैं और भगवन जी कौन थे? तो सारे तथ्य खुद सामने आ जाएंगे। इससे यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि भगवन जी ही नेता जी थे।
सिविल लाइंस स्थित रामभवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पहले भी इस प्रकार की बातें कई बार सामने आई कि फलां साधु नेताजी सुभाषचंद बोस हैं, लेकिन कोई ठोस आधार नहीं मिला।
इसके बाद जब मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में यह सामने आया कि नेताजी की मौत ताईवान में नहीं हुई।
तब उन्होंने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को पढ़ा और गहन छानबीन की।
इसके बाद पता चला है कि गुमनामी बाबा के नाम से पहचान पाने वाले ही नेताजी थे।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो हाईकोर्ट ने गुमनामी बाबा के सामान को सुरक्षित रखने का आदेश क्यों दिया?
जबकि किसी आम शख्स के लिए ऐसा नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह भरोसा नहीं है कि यदि सरकार जांच कराएगी तो सारे तथ्य सामने आएंगे।
इसलिए उच्च न्यायालय को प्रकरण का संज्ञान लेना चाहिए और सारे तथ्यों की छानबीन करानी चाहिए।
इस मौके पर पीस पार्टी के विधानमंडल दल के नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि उन्होंने गत वर्ष सदन में इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की थी, लेकिन एक साल गुजर गए पर सरकार ने चर्चा नहीं कराई।
लेकिन साफ़ और सच ये है कि नेताजी के मसले पर सरकार गंभीर नहीं है।
आप की पोस्ट बहुत ही ज्ञानवर्धक होती है अरुणा जी .. नेता जी के बारे मे जानने की लालसा हमेशा रहती है .. आभार इस पोस्ट के लिए
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