Saturday, 28 December 2013

खाली बोतलों से बना सपनों का आशियाना

एक प्रयास ---------
अपने आशियाने को अनोखा और सबसे सुंदर बनाने की हर किसी को चाहत होती है। 
घर के डिजाइन को लेकर कई इंजीनियरों से 
सलाह लेने के अलावा घंटों इंटरनेट पर बैठकर कुछ अलहदा तरीका ढूंढ़ा जाता है। 
ऐसा ही एक आशियाना इन दिनों मंडलेश्वर मार्ग पर
 प्राचीन वृद्धकालेश्वर के समीप बन रहा है। 
मटके के आकार वाले इस निर्माणाधीन मकान की खासियत यह है 
कि इसके निर्माण में ईंटों की जगह पानी की खाली बोतलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 
इस मकान की निर्माण शैली ऐसी है कि इस पर सीमेंट-कंक्रीट की छत नहीं होगी, 
अपितु इसकी दीवारें ही धीरे-धीरे गोलाई लेती हुई मकान को मटके का आकार देंगी। 
हॉल, बेडरूम और बाथरूम वाले इस मकान को बनाने वाले कारीगर हैं 
---------------इंदौर के रवि बामनिया। 
उन्होंने बताया कि इस मकान के निर्माता 
-----------चंद्रमोहन पंवार के परिवार ने इंटरनेट पर किसी विदेशी 
द्वारा इस प्रकार के मकान के बारे में देखा था। 
इसके बाद उन्होंने भी ऐसे ही मकान के निर्माण की इच्छा जाहिर की। 
1500 वर्गफीट, 30 हजार बोतल लगभग 1500 वर्गफीट में बने रहे 
मकान में खाली बोतलों में मिट्टी को भरा जा रहा है। 
इसके पश्चात सलीके के साथ लोहे की जाली पर एक-एक बोतल को बांधकर 
उसे रेत और 
सीमेंट से जोड़कर मजबूती दी जा रही है। 
रवि बामनिया ने बताया कि 
पूरे मकान के निर्माण में लगभग 30 हजार बोतलों का उपयोग होगा। 
बोतलें करीब एक फीट लंबाई की होने से इसकी दीवारें करीब एक फीट मोटी होंगी।
समय और लागत दोगुनी: मिट्टी का उपयोग होने से यह मकान वातानुकूलित जैसा होगा। 
यह न तो गर्मी के मौसम में गर्म होगा और न ही ठंड में ज्यादा ठंड लगेगी। 
बामनिया ने बताया -----------
कि आमतौर पर बनने वाले मकानों की अपेक्षा इस मकान के काम में जहां ज्यादा समय लगता है, 
वहीं इसकी लागत भी दोगुनी बैठती है। 
बहरहाल जैसे-जैसे इस मकान की जानकारी लोगों को हो रही है, 
उत्सुकतावश लोग इसे अनूठे मकान को देखने पहुंच रहे हैं।

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (30-12-13) को "यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ" (चर्चा मंच : अंक-1477) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. निश्चाय ही एक अनोखा प्रयोग है !
    नई पोस्ट मिशन मून
    नई पोस्ट ईशु का जन्म !

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