Tuesday 6 May 2014

दोष सिर्फ दिल के काले गोरों को ही नहीं दे सकते .....जब नाम ही दर्ज नहीं था तो ?????

एक प्रयास -----#भगत सिंह पर खुलासा, बिना FIR दी थी फांसी---
दोष सिर्फ दिल के काले गोरों को ही नहीं दे सकते ..............
जब नाम ही दर्ज नहीं था तो ?????

शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी दिए जाने के 83 साल बाद एक बड़ा खुलासा सामने आया है। 
ब्रिटिश पुलिस अफसर जॉन सैंडर्स की हत्या के मामले में 
पाकिस्तान के लाहौर में दर्ज एफआईआर में भगत सिंह का नाम नहीं था।

भगत सिंह को सैंडर्स की हत्या के आरोप में महज 23 साल की उम्र में मार्च 1931 में सजा-ए-मौत दी गई थी।

पाकिस्तान में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज कुरैशी न
 सैंडर्स की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर की कॉपी हासिल की है।

ऊर्दू में लिखी एफआईआर 17 दिसंबर 1928 को 
शाम साढ़े चार बजे लाहौर के अनारकली थाने में दर्ज कराई गई थी,

जिसमें 2 अज्ञात लोगों पर सैंडर्स की हत्या का आरोप लगाया गया।

शिकायतकर्ता इसी थाने का एक अधिकारी था और मामले का चश्मदीद भी था।

उसके मुताबिक जिस शख्स का उसने पीछा किया वो पांच फुट पांच इंच लंबा था, 
हिंदू चेहरा, छोटी मूंछें और दुबली पतली और मजबूत काया थी।

वह सफेद रंग का पायजामा और भूरे रंग की कमीज और काले रंग की छोटी क्रिस्टी जैसी टोपी पहने हुए था।

मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 120 और 109 के तहत दर्ज किया गया था।

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