Sunday, 16 March 2014

एक प्रयास-कुरीतियों को तोड़ पहली बार अबीर-गुलाल से सराबोर वृन्दावन की विधवा महिलायें--

एक प्रयास ---------
भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृन्दावन में विधवा महिलाओं ने 
सदियों से चली आ रही कुरीतियों को तोड़ते हुए पहली बार अबीर-गुलाल से रंग भरी होली खेली.

बुजुर्ग विधवाओं में से ही कुछ एक ने राधा-कृष्ण और गोपियों के रूप धर कर 
एक-दूसरे से जमकर होली खेली.
इस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने करीब ढाई क्विंटल गुलाल और चार सौ किलो फूलों की वर्षा कर 
अपनी खुशी का इजहार किया.

यह संभवत: पहला मौका था जब महिलाओं का उल्लास फूट पड़ रहा था. 
उनको यह अवसर उपलब्ध कराया गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने.

इस संगठन ने वृंदावन की 1000 विधवाओं के जीवन-स्तर में सुधार के लिए न केवल तमाम उपाय किए हैं, बल्कि<img>उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी तमाम प्रयास किए हैं.

इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया डॉ बिन्देश्वरी पाठक ने कहा 
कि उन्होंने विधवा और समाज से कटे महिलाओं को भी सामान्य 
जीवन व्यतीत करने का मौका देने के लिए होली के इस कार्यक्रम का आयोजन किया है.

पाठक ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित इस कार्यक्रम से दुनिया 
भर में यह संदेश जाएगा कि भारत की विधवा महिलाओं ने सदियों से 
चली आ रहीं कुरीतियों की बेड़ियां तोड़ दी हैं. 
अब वे भी अन्य जनसामान्य के समान ही जीने का अधिकार रखती हैं.

पाठक ने महिलाओं से अपील की कि वे मनचाहा भोजन करें, गाएं-बजाएं, 
अपनी इच्छानुसार गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शामिल हों 

और यदि चाहें तो मनचाहे <img>साथी के साथ शादी कर घर बसाएं.

उन्होंने कहा कि अगले चरण में सुलभ का प्रयास होगा कि 
ये महिलाएं गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य की अलख जगाएं.
   
उन्होंने कहाकि इन महिलाओं को नर्सिंग के सामान्य कार्यों 
का प्रशिक्षण देकर तथा अहानिकारक दवाओं की जानकारी देकर 
उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार का आयोजन वाराणसी में भी किया जा रहा है.













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