Wednesday 1 May 2013

कुछ हाइकु ...

एक प्रयास ---
नन्हे धागे के साथ 
दूर देस में 
खिला है मन 
मिले भाई बहन 


बरसों बाद 

जाग उठी हैं
बचपन की यादें
द्रवित मन

याद आये हैं
बीत गए वो पल
बिताये यहाँ

जलता चूल्हा
सिकती सौंधी रोटी
फैली सुगंध

हर कौर में
माँ का था वो दुलार
आत्मा भी तृप्त

सजा है थाल
बहन भी तैयार
राखी के साथ

सजी कलाई
बहन के स्नेह से
भाई प्रसन्न

तू अभिमान
दिल के उदगार
बहन कहे

माथ सजाये
अक्षत रोली मिल
गर्वित टीका

इस धागे में
बंधा हमारा प्यार
अभिमान है

गया श्रावण
पूर्णिमा आई आज
राखी के साथ .............................------

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