एक प्रयास ---------केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।
यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।
पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि
इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था।
यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है।
हज़ारो लोग सैलाब में बह गए ,हज़ारो ने मलबे में दब कर दम तोड़ दिया | अपनों ने अपनों को बहते देखा ,दम तोड़ते देखा लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाया ...उन्हें वहीँ छोड़ आना पडा उनमें नन्हे बच्चे भी हैं ,युवा भी और बुज़ुर्ग भी ........दिल पर पत्थर रख अपने -अपने कलेजे के टुकड़ों को छोड़ आये हैं इश्वर के दरबार में .......कैसी विडम्बना है अंतिम संस्कार भी किस्मत मैं नहीं .......
यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।
पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि
इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था।
यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है।
इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है,
पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थ रहा था ।
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है।
ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाया हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे।
एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर ८वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है।
मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है।
फिर भी इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते है कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं।
१८८२ के इतिहास के अनुसार साफ अग्रभाग के साथ मंदिर एक भव्य भवन था जिसके दोनों ओर पूजन मुद्रा में मूर्तियाँ हैं। “पीछे भूरे पत्थर से निर्मित एक टॉवर है इसके गर्भगृह की अटारी पर सोने का मुलम्मा चढ़ा है।
मंदिर के सामने तीर्थयात्रियों के आवास के लिए पण्डों के पक्के मकान थे ।
जबकि पुजारी या पुरोहित भवन के दक्षिणी ओर रहते थे ।
दोनो के दर्शनों का बड़ा ही महत्त्व है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।
यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ था ।
मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ था । बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं।
सब ठीक ही चल रहा था लेकिन इश्वर की महिमा महान है कौन जाने कब क्या हो जाए .??
जून २०१३ हमेशा की तरह लाखों लोग चारों धाम की यात्रा पर निकल पड़े और १६-१७ जून को आई आसमानी विपदा ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए बाढ़ और भूस्खलन ने सबसे ज़्यादा तबाही केदारनाथ में मची
मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी।
इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे
लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया।
राज्य के गोविंदघाट में राहत और बचाव कार्य के दौरान सैनिक अलकनंदा नदी पर बने एक अस्थायी पुल की मरम्मत करने की कोशिश कर रहे हैं. ये पुल भयावह बाढ़ और भूस्खलन के बाद बर्बाद हो गया है.
उत्तराखंड में बहुत सारी बस्तियाँ, पुल और सड़कें देखते ही देखते उफनती हुई नदियों और टूटते हुए पहाड़ों के वेग में बह गए
प्राकृतिक आपदा आए क़रीब एक हफ़्ता होने वाला है. भारतीय सेना और वायु सेना के जवान चार धाम की यात्रा करने आए तीर्थयात्रियों को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कई जगह तो ऐसी हैं, जहां अलकनंदा नदी के इस पार से उस पार तक जाने का कोई ज़रिया ही नहीं बचा है. सेना के जवान रस्सियों के सहारे बाढ़ के पानी से उफ़न रही नदी के ऊपर से लोगों को दूसरी तरफ़ भेजने की कोशिश कर रहे हैं.
रास्ते में चढ़ाई करते वक्त कई श्रद्धालुओं की तबीयत नासाज़ हो रही है. कई बार उनकी हिम्मत जवाब देने लगती है, लेकिन सेना के जवान उनकी हौसला-अफ़ज़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
कई लोग क्लिक करेंउत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाके से निकलकर सुरक्षित अपने-अपने राज्यों में पहुंच चुके हैं. घर वालों से मिलकर और मौत के मुंह से सकुशल बच आने के बावजूद उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा है
केदार नाथ मंदिर पर तबाही के बाद मंदिर का सिर्फ मूल रूप बचा है और हर तरफ दिल दहलाने वाला मंज़र है .....हज़ारो लोगो की लाशें इधर -उधर बिखरी हैं .........तबाही की हैं सबकी अपनी कहानी देश भर से हज़ारो गायब हैं , हज़ारों फंसे हैं .....जगह -जगह , सेना के हर जवान को सलाम जो लगे हैं दिन-रात बचाव में
केदारनाथ मंदिर की आज की तस्वीर दाहिनी ओर और एक हफ़्ते पहले की बाईं ओर
केदारनाथ मंदिर के इतिहास और वर्तमान में चल रही त्रासदी पर आद्योपांत आपने बहुत ही सिलसिलेवार लिखा है, बहुत बढिया.
ReplyDeleteरामराम.
केदारनाथ मंदिर की एक सम्पूर्ण व अपडेट जानकारी.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी के साथ -साथ , त्रासदी पूर्वक घटना का विवरण भी
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