एक प्रयास ---------
अंतरिक्षयात्रा के दौरान और उसके बाद अंतरिक्षयात्रियों को कई प्रकार के अनुभव होते हैं. ऐसे ही 7 अनुभवों के बारे में जानकारी.
अंतरिक्ष यात्रियों की शयन क्रिया---------
अंतरिक्षयात्रियों के लिए अंतरिक्ष में नींद लेना काफी कठीन हो जाता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी की नजदीकी भ्रमण कक्षा में सूर्यास्त और सूर्योदय हर 90 मिनट में एक बार हो जाता है.
इससे दिन और रात का समय ठीक ढंग से समझ पाना कठीन हो जाता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी की नजदीकी भ्रमण कक्षा में सूर्यास्त और सूर्योदय हर 90 मिनट में एक बार हो जाता है.
इससे दिन और रात का समय ठीक ढंग से समझ पाना कठीन हो जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में ग्रीनविच मीन टाइम को आधार माना जाता है और अंतरिक्षयात्री उसी समय के हिसाब से खुद को ढालते हैं.
यह कठीन है परंतु उनको इसका अभ्यास कराया जाता है.
यह कठीन है परंतु उनको इसका अभ्यास कराया जाता है.
अंतरिक्षयात्रियों की लम्बाई बढ जाती है----------
चुँकि अंतरिक्ष में गुरूत्वाकर्षण बल का प्रभाव नहीं होता इसलिए अंतरिक्षयात्रियों की रीढ की हड्डी का कॉलम फैलता है और उनकी लम्बाई 5 से 8 सेमी तक बढ जाती है.
पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें पीठ दर्द की शिकायत होने की सम्भावना रहती है.
पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें पीठ दर्द की शिकायत होने की सम्भावना रहती है.
खर्राटों मे कमी---------------
एक अभ्यास से पता चला है कि अंतरिक्षयात्री जब अंतरिक्ष में नींद लेते हैं तो अपेक्षाकृत कम खर्राटे लेते हैं.
ऐसा इसलिए क्योंकि खर्राटों के लिए गुरूत्वाकर्षणबल कुछ हद तक जिम्मेदार है और अंतरिक्ष में उसकी अनुपलब्धता खर्राटों मे कमी ला देती है.
ऐसा इसलिए क्योंकि खर्राटों के लिए गुरूत्वाकर्षणबल कुछ हद तक जिम्मेदार है और अंतरिक्ष में उसकी अनुपलब्धता खर्राटों मे कमी ला देती है.
एक वर्ष से अधिक समय तक अंतरिक्ष में------------
सुनिता विलियम्स जब 6 महीने के करीब अंतरिक्ष में रहकर वापस लौटी तो लोगों ने अचरज व्यक्त किया था, क्योंकि अंतरिक्ष में इतने लम्बे समय तक रहना आसान काम नहीं है.
लेकिन अंतरिक्ष में सबसे लम्बे काल तक रहने का रिकार्ड सुनिता के नहीं बल्कि रूस के वलेरी पोलियाकोव के नाम है.
उन्होनें मीर स्पेस स्टेशन में 438 दिन बिताए थे.
लेकिन अंतरिक्ष में सबसे लम्बे काल तक रहने का रिकार्ड सुनिता के नहीं बल्कि रूस के वलेरी पोलियाकोव के नाम है.
उन्होनें मीर स्पेस स्टेशन में 438 दिन बिताए थे.
अंतरिक्ष में हुई कुल मौतें कितनी-------?
सिर्फ 3. वर्ष 2004 तक कुल 439 अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष की सैर कर चुके हैं.
11 सम्भावित अंतरिक्षयात्रियों की मौत प्रशिक्षण के दौरान हुई है और उड्डयन के दौरान कुल 18 मौतें हुई है.
11 सम्भावित अंतरिक्षयात्रियों की मौत प्रशिक्षण के दौरान हुई है और उड्डयन के दौरान कुल 18 मौतें हुई है.
परंतु तकनीकी दृष्टि से देखें तो मात्र 4 मौते ही अंतरिक्ष में हुई है.
एफ.आई.ए. के अनुसार पृथ्वी की सतह से 100 किमी ऊपर अंतरिक्ष की सीमा है.
इस सीमा से बाहर सोयुज़ 11 अंतरिक्षयान की दुर्घटना हुई थी.
तीन अंतरिक्षयात्री ज्योर्जी डोब्रोवोल्स्की, विक्टर पेटासायेव और व्लादिस्लेव वोल्कोव मारे गए थे.
एफ.आई.ए. के अनुसार पृथ्वी की सतह से 100 किमी ऊपर अंतरिक्ष की सीमा है.
इस सीमा से बाहर सोयुज़ 11 अंतरिक्षयान की दुर्घटना हुई थी.
तीन अंतरिक्षयात्री ज्योर्जी डोब्रोवोल्स्की, विक्टर पेटासायेव और व्लादिस्लेव वोल्कोव मारे गए थे.
पृथ्वी के वातावरण से सामंजस्य बिठाना कठिन---------
अंतरिक्षयात्रा के बाद लौटने वाले अंतरिक्षयात्रियों के लिए पृथ्वी के वातावरण से तालमेल बिठाना कठीन होने लगता है.
कठिन प्रशिक्षण प्राप्त ये अंतरिक्षयात्री भी परेशानी का सामना करते हैं.
कई रूसी अंतरिक्षयात्री स्वीकार करते हैं कि पृथ्वी पर लौटने के महीनों बाद भी वे कॉफी के मग को हवा में छोड़ देते थे!
कठिन प्रशिक्षण प्राप्त ये अंतरिक्षयात्री भी परेशानी का सामना करते हैं.
कई रूसी अंतरिक्षयात्री स्वीकार करते हैं कि पृथ्वी पर लौटने के महीनों बाद भी वे कॉफी के मग को हवा में छोड़ देते थे!
स्पंज स्नान ही बेहतर-------------
स्कायलेब, मीर जैसे स्पेस स्टेशन शावर की सुविधा से युक्त होते हैं.
लेकिन अंतरिक्षयात्री अधिकतर समय स्पंज बाथ पर ही निर्भर रहते हैं
ताकी पानी का बचाव किया जा सके.
लेकिन अंतरिक्षयात्री अधिकतर समय स्पंज बाथ पर ही निर्भर रहते हैं
ताकी पानी का बचाव किया जा सके.
नासा अब ऐसे सिस्टम पर कार्य कर रहा है जिससे पानी रिसायकल होता रहेगा.
इसके बाद अंतरिक्षयात्रियों के लिए मजे से स्नान करना सम्भव होगा.
इसके बाद अंतरिक्षयात्रियों के लिए मजे से स्नान करना सम्भव होगा.
अंतिरिक्ष यात्रियों की जीवन चर्या और अंतरिक्ष के बारे में बहुत सी जिज्ञासाएं शांत हुई, बहुत आभार.
ReplyDeleteरामराम.
धन्यवाद ताऊ
Deleteराम -राम
good informative article.
ReplyDeleteधन्यवाद singh साहब
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