Saturday 25 January 2014

-#यादों के झरोंखो से ----

एक प्रयास -------
पहले गणतंत्र दिवस पर और स्वतन्त्रता दिवस पर सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकलती थी ....
बचपन में इस दिन हमेशा प्रभात फेरी के लिए तैयार रहते थे .......
........सुबह अँधेरे तैयार हो जाते थे अपनी सफ़ेद स्कूल ड्रैस पहन कर ......
मम्मी या पिताजी स्कूल छोड़ने जाते और वहां तब तक रुके रहते ,जब तक कोई और बच्चा या कोई अध्यापिका ना आ जातीं ..........पंद्रह-बीस बच्चे और तीन -चार अध्यापिकाओ का समूह निकल पड़ता था जय हिन्द और वन्दे मातरम के नारों के साथ ............
डेढ़-दो घंटे घूमने के बाद वापस स्कूल और वहां के कार्यक्रम ...
..................ध्वजारोहण , राष्ट्र गान , सांस्कृतिक कार्यक्रम ............
..........और फिर एक बहु प्रतीक्षित पल .............मिठाई वितरण ..................
हमें मिलता था करीब सौ से डेढ़ सौ ग्राम गरम-गरम गुलदाना जो बांस के लिफ़ाफ़े में होता था
और सच मानिए ......
सरकारी प्राइमरी स्कूल में इस दिन के भव्य आयोजन का सबसे बड़ा आकर्षण यही बॉस का खाकी लिफाफा होता था ..............खाते -पीते शोर मचाते सब आपने -अपने घर की राह पकड़ लेते
अगले ऐसे ही किसी आयोजन की प्रतीक्षा में ..............जय हिन्द ......जय भारत ......
.............................वन्दे मातरम्.....................

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