Saturday, 25 January 2014

विदेशी महिला ने किया था परमवीर चक्र डिजाइन

एक प्रयास --------- 

भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिजाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 
26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक अनेक श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। 
भारतीय सेना की ओर से मेजर जनरल हीरालाल अटल ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की जिम्मेदारी सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं। 
स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था। 
मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य संस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी। 
 उनके पति भी उस समय मेजर जनरल बन चुके थे। 
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) इयान कारडोजो की प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। 
पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीची से प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे इंद्र के वज्र का निर्माण हुआ था।

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    जय भारत।
    भारत माता की जय हो।

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    1. सादर आभार शास्त्री जी ....

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    2. भारत माता की जय ........

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