Thursday 16 January 2014

भाषाओं की क़ब्रगाह बन गया भारत'

एक प्रयास --------
-पिछले 50 साल में भारत की क़रीब 20 फीसदी भाषाएं विलुप्त हो गई हैं. 
50 साल पहले 1961 की जनगणना के बाद
 1652 मातृभाषाओं का पता चला था. 
उसके बाद ऐसी कोई लिस्ट नहीं बनी.
उस वक़्त माना गया था कि 1652 नामों में से क़रीब 1100 मातृभाषाएं थीं,
क्योंकि कई बार लोग ग़लत सूचनाएं दे देते थे.
भाषाओं का इतिहास तो 70 हज़ार साल पुराना है 
जबकि भाषाएं लिखने का इतिहास सिर्फ़ चार हज़ार साल पुराना ही है.
 इसलिए ऐसी भाषाओं के लिए यह संस्कृति का ह्रास है.
पिछले 50 साल में हिंदीभाषी 26 करोड़ से बढ़कर 42 करोड़ हो गए 
जबकि अंग्रेज़ी बोलने वालों की संख्या 33 करोड़ से बढ़कर 49 करोड़ हो गई. 
इस तरह हिंदी की वृद्धि दर अंग्रेज़ी से ज़्यादा है.
गणेश डेवी के मुताबिक भारत की 250 भाषाएं विलुप्त हो गई हैं

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (17-01-2014) को "सपनों को मत रोको" (चर्चा मंच-1495) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जब कबीले---क्षेत्र में....क्षेत्र, गाँव में--गाँव नगर-महानगर में परिवर्तित होते हैं तो छोटे छोटे समूहों की भाषाए तो लुप्त होंगी ही ....वस्तुतः वे लुप्त होने की बजाय अपनी मूल --मातृभाषा में समाहित हो जाती हैं....अतः कोई चिंता की बात नहीं है.... यह सामान्य , सहज प्रगति है...

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  3. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ..

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