Wednesday, 22 May 2013

ख़तरे में है 140 साल पुरानी ट्राम सेवा

एक प्रयास ---------
  • कोलकाता भारत का इकलौता शहर है जहां आज भी ट्राम चलती हैं. पिछले दो दशक के दौरान निवेश की कमी, रख रखाव के अभाव और यात्रियों की संख्या में कमी के चलते ट्राम की स्थिति बदतर हुई है. फोटोग्राफ़र रॉनी सेन ने भारतीय ट्राम की स्थिति को कैमरे में कैद किया है.
  • कोलकाता में पहला ट्राम 24 फरवरी, 1873 को चली थी. सियालदह से अर्मेनियन घाट स्ट्रीट के बीच 3.8 किलोमीटर की दूरी के बीच ज़्यादा यात्रियों के नहीं मिलने से इस सेवा को उसी साल नवंबर में बंद कर दिया गया. 1880 में घोड़ा से चलने वाली ट्राम की शुरुआत हुई. 19वीं शताब्दी के अंत तक कोलकाता में 186 ट्रॉम चलने लगे थे. 30 किलोमीटर के ट्रैक पर इसे करीब एक हज़ार घोड़े खींचते थे.
  • 1900 में ट्राम का विद्युतीकरण हुआ. यह 1943 आते-आते ये हावड़ा के आसपास विकसित होते शहरों को जोड़ने का जरिया बन चुकी थी. इस दौरान यह 67 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर चलने लगी थी. मौजूदा समय में कोलकाता में 300 से ज़्यादा ट्राम मौजूद हैं, लेकिन इसमें 170 ट्राम ही ट्रैक पर उतरती हैं.
  • कोलकाता में ट्राम कार की केबिन में बैठा ड्राइवर. ट्राम कंपनी में अभी छह हज़ार से ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं. ख़बरों के मुताबिक़ कई बार आर्थिक दबाव के चलते कर्मचारियों को वेतन देने में भी मुश्किल आती है.
  • पिछले कई सालों से ट्राम की सवारियों की संख्या में लगातार गिरावाट आ रही है. 1980 के दशक के शुरुआती सालों में औसतन 275 ट्रामों में हर रोज साढ़े सात लाख लोग सफ़र करते थे. लेकिन इसके बाद सवारियों की संख्या लगातार कम होती गई.
  • मौजूदा समय में करीब 170 ट्रामों में हर रोज क़रीब एक लाख साठ हज़ार सवारियां यात्रा करती हैं. कोलकाता ट्रामवेज कंपनी की वेबसाइट पर बताया गया है कि सवारियों की संख्या लगातार गिर रही है. हालांकि 62 सीटों वाली ट्राम काफी आरामदायक और सस्ती है. लेकिन सवारियों की शिकायत है कि ट्राम की स्पीड कम है, इसलिए यात्रा में समय अधिक लगता है.
  • इसमें कोई अचरज नहीं होना चाहिए कि ट्राम डिपो किसी निर्जन स्थान जैसी ही होती हैं. कंपनी के अधीन अभी शहर में चार डिपो और पांच टर्मिनल हैं. इनसे शहर के 29 मार्गों पर ट्राम चलती हैं.
  • शहर के एक ट्राम डिपो के बाहर बैठे कर्मचारी और ड्राइवर. बीते कई सालों में ट्राम की कई सेवाओं को बंद कर दिया गया है.
  • आजकल शहर में ट्राम अमूमन 65 किलोमीटर के डबल ट्रैक पर चलती हैं. कई पुराने ट्रैक को फिर से बनाकर उनके स्तर को और बेहतर बनाया गया है.
  • लगातार घाटे से उबरने के लिए ट्राम कंपनी ने 1992 में बस सेवा शुरू की. उसने 40 बसों के बेड़े से पहली सेवा की शुरुआत की. आजकल आधुनिक ट्राम भी चलाई जा रही हैं. लेकिन ये आधुनिक ट्राम यात्रियों में लोकप्रिय नहीं हो पा रही हैं. इससे जाहिर है 

2 comments:

  1. हां ट्राम तो कोलकाता की पहचान है. कालेज जाने तक ट्राम का खूब उपयोग किया है हमने भी. समय की मांग के अनुसार इनमें भी बदलाव किया जाना चाहिये था जो नही किया गया. उचित रखरखाव और आधुनिक टेक्नोलोजी अपना कर इसे जिंदा रखा जा सकता है.

    रामराम

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    1. सही कहा आपने समय -समय पर सब को रख-रखाव की आवशयकता है

      राम -राम

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