Thursday 2 May 2013

विनम्र श्रधांजली

एक प्रयास ---------

सरबजीत पिछले 23 साल से पाकिस्तान की जेल में कैदी थे। 
1990 में उन्हें लाहौर में बम धमाके के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। सरबजीत के परिवार ने हमेशा यही कहा कि सरबजीत बेकसूर हैं और वो गलती से पाकिस्तानी सीमा के अंदर चले गए थे। लेकिन किसी ने नहीं सुनी .......पाक तो वैसे भी इस फिराक में रहता है कब कोई भारतीय आ फंसे 
पाक की आदत है स्वयं उलटे -सीधे काम में लिप्त रहता है 
सरबजीत सिंह ने लाहौर की कोट लखपत जेल के बैरक नंबर एक में अपनी जिंदगी के 23 साल गुजार दिए।पंजाब के तरनतारन जिले में भिखिविंड गांव के रहनेवाले सरबजीत को 30 अगस्त 1990 को पाकिस्तानी सेना ने सीमा पर से गिरफ्तार किया था। 
सरबजीत पर आरोप लगा कि वो रॉ का एजेंट हैं। यहीं नहीं उस पर 1990 में लाहौर में हुए बम धमाकों का इल्जाम भी लगा। रिपोर्ट में सरबजीत सिंह का नाम मंजीत सिंह बताया गया।

पाकिस्तान में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से गिरफ्तार किया गया था।
अपने बचाव में उन्होंने  यह तर्क दिया था कि वह निर्दोष हैं और भारत के तरनतारन के किसान हैं। 
गलती से उन्होंने सीमा पार की और पाकिस्तान पहुंच गए लेकिन लाहौर की एक कोर्ट में उन पर मुकदमा चला और 1991 में अदालत ने उनको मौत की सजा सुनाई। सीमा पर अक्सर इस तरह के हादसे होते रहते हैं .......लेकिन पाक इसका गलत फायदा उठाता रहा है .................
निचले अदालत की यह सजा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल रखी। सरबजीत ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे 2006 में खारिज कर दिया गया।
उनकी रिहाई के लिए दोनों देश के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपील की। पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व मंत्री अंसार बर्नी इस मामले में पाकिस्तान के राष्ट्रपति से गुहार लगाई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 
भारत में सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने काफी कोशिशें की । हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने भी सरबजीत की रिहाई के लिए प्रयास किए। 
मुंबई हमले के मुख्य आरोपी आमिर अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद सरबजीत को लेकर चिंता बढ़ गई थी. क्योंकि पाकिस्तान के कुछ कट्टरपंथी संस्था सरबजीत की फांसी की मांग करने लगे थे लेकिन सरबजीत पर सरकार के ढीले रवैये की वजह से सरबजीत कभी भारत वापस नहीं लौट सके और 26 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में हुए हमले में अंतिम सांस ली। 
पाक जेलों में जो व्यवहार भारतीय कैदियों के साथ होता है उस पर तो काला पानी भी शर्म सार हो जाए .........जो यातना कभी अँगरेज़ दिया करते थे ..पाक उन्ही का अनुसरण करता लगता है .............हम सब मिल कर उन्हें  विनम्र श्रधांजली अर्पित करते हैं ........जीते जी तो नहीं मिली कम से कम अंतिम समय तो उन्हें अपनी सर ज़मीन मिल सकी ..........उन्हें नमन ......श्रधासुमन ...पूरे परिवार के साथ संवेदना सहित ...........................अरुणा 

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