Friday 24 May 2013

एक शहर था एपिक्वेन..

एक प्रयास ---------
 गुरुवार, 23 मई, 2013 
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स के दक्षिण पश्चिम में बसा
    एपिक्वेन शहर तकरीबन चौथाई सदी 
    पानी के भीतर गुजारकर वापस सतह पर लौट आया है. 
    25 सालों का सूनापन शहर की सड़कों के किनारे ठूंठ हो गए 
    पेड़ों को देखकर महसूस किया जा सकता है. 
    तस्वीर छह मई 2013 को एपिक्वेन की एक सड़क पर कार के भीतर से ली गई है.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    शहर की इमारतें पानी से बाहर निकली हैं. 
    25 सालों तक इनसानी साये से दूर रह कर ये वापस लौटी हैं. 
    कभी यहां की आबादी डेढ़ हजार के करीब हुआ करती थी 
    और कोई 20 हजार सैलानी हर साल यहां आया करते थे.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    एपिक्वेन डूबा तो यहां के शहरी पास के कारह्वे शहर जा कर बस गए. 
    वहां उन्होंने कई होटल और स्पा खोले 
    और सैलानियों को वो तमाम सुविधाएं देने की कोशिश की 
    जिसकी खातिर टूरिस्ट एपिक्वेन आया करते थे. 
    इसमें कीचड़ वाला फेशियल से लेकर 
    खारे पानी से होने वाला इलाज तक शामिल था. 
    कारह्वे भी दरिया किनारे बसे शहरों में से एक है.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    कहते हैं कि साल 1985 के नवंबर महीने में जबरदस्त बारिश हुई थी. 
    तटबंध टूट गए और शहर में बाढ़ का पानी चला आया था. 
    केवल 20 दिन ही लगे इस शहर को 33 फीट पानी के भीतर समा जाने में.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    अर्जेंटीना के सुनहरे दिनों में मुल्क से बाहर 
    जिन रेलगाड़ियों में अनाज भरकर बाहरी दुनिया को भेजा जाता था, 
    उन्हीं ट्रेनों में सैलानी भरकर देश की राजधानी ब्यूनस आयर्स आया करते थे. 
    उन सैलानियों को एपिक्वेन का आकर्षण अर्जेंटीना खींच लाया करता था.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    धीरे-धीरे कई साल गुजर गए. कई मौसम बीत गए. 
    पानी कम होना शुरू हुआ पर यह शहर कभी दोबारा आबाद नहीं हो पाया. 
    एक जामाना था 
    जब लोग इसके खारे पानी की औषधीय खूबियों की खातिर यहां आया करते थे 
    और अब इसके खंडहरों से उसके अतीत की कहानी सुनने आते हैं.
  • अर्जेंटीना का एक शहर एपिक्वेन
    पाब्लो नोवाक की उम्र 82 साल की हो चुकी है 
    और 1985 के मुश्किल दिनों में भी 
    उन्होंने अपनी घर, अपना शहर छोड़ने से इनकार कर दिया था. 
    आज वे खुश हैं कि लोग भले ही खंडहरों को देखने के लिए ही सही 
    पर वापस एपिक्वेन की तरफ रुख तो कर रहे हैं. 
    तस्वीर में दिख रही कब्रों में भले ही कोई सो रहा होगा 
    लेकिन ये शहर लंबी नींद के बाद जागा है.

6 comments:

  1. बडी रोमांचक जानकारी मिली, आपका ब्लाग इस तरह की ताजा तरीन जानकारियां प्राप्त करने का अच्छा और विश्वसनीय माध्यम बन चुका है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामारम.

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    1. राम -राम ताऊ
      आप जैसे महानुभाव यहाँ आकर अपने विचार प्रकट करते हैं सब सफल हो जाता है
      धन्यवाद आपका

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  2. अरुणा जी जय श्री राधे
    बहुत सुन्दर जानकारी ..समय न जाने क्या क्या करा देता है कभी खिलखिलाहट कभी सब कुछ सूना वीरान हैरान परेशान इंसान ...
    भ्रमर ५

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    Replies
    1. जय श्री राधे सुरेन्द्र जी
      सच कहा आपने समय बड़ा बलवान है

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  3. पहली बार जाना ..
    आभार !

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