एक प्रयास ---------September 1, 2011
अब हो सकता है कि आपको सूर्य की रोशनी प्राप्त करने के लिए भी शुल्क चुकाना पडे!
पढने में यह विचित्र लग सकता है, परंतु स्पैन की एक महिला ने दावा किया है कि "सूर्य" उसकी सम्पत्ति है और उसने अपनी इस सम्पत्ति को पंजीकृत भी किया है.
परंतु सूर्य क्या किसी की सम्पत्ति हो सकता है?
1967 में स्वीकृत की गई बाह्य अवकाश ट्रिटी के अनुसार कोई भी देश धरती से बाहर अंतरिक्ष के किसी भी स्थान पर अपना स्वामित्व नहीं जता सकता है. परंतु इस ट्रिटी में आम लोगों का उल्लेख नहीं किया गया है. यानी कि कोई व्यक्ति चाहे तो ग्रहों और तारों पर अपना स्वामित्व जता सकता है. और ऐसा पहले हुआ भी है. अमेरिका के कुछ लोगों ने चंद्रमा, मंगल और शुक्र ग्रह पर अपना कब्जा होने का दावा किया है.
परंतु सूर्य अभी तक इस तरह के दावों से बचा हुआ था. अब स्पैन की 49 वर्षीय एंजेल्स डुरान ने दावा किया है कि उसने सूर्य पर अपना दावा प्रस्तुत किया था और उसे मान्यता मिली है.
उन्होनें साक्ष्य के रूप में एक दस्तावेज जारी किया है जिसमें लिखा है कि
"डुरान सूर्य नामक तारे की मालिक है जो पृथ्वी से करीब 14,96,00,000 किलोमीटर दूर है."
उन्होनें साक्ष्य के रूप में एक दस्तावेज जारी किया है जिसमें लिखा है कि
"डुरान सूर्य नामक तारे की मालिक है जो पृथ्वी से करीब 14,96,00,000 किलोमीटर दूर है."
डुरान का बयान----------------
डुरान का कहना है कि ऊर्जा कम्पनिया नदियों पर बांध बनाती है, उससे ऊर्जा तैयार करती है और लोगों को बेचती है. नदी का पानी तो सबका है, फिर कोई कम्पनी उसपर अपना अधिकार कैसे जता सकती है. परंतु ऐसा होता है. तो फिर वह सूर्य की मालिक क्यों नही बन सकती है.
डुरान अब स्पैन के उद्योग मंत्रालय से मिल रही है ताकी भविष्य की योजनाएँ तैयार की जा सके. बहरहाल उनका इरादा लोगों से सूर्यऊर्जा के बदले शुल्क वसूलना है.
डुरान अब स्पैन के उद्योग मंत्रालय से मिल रही है ताकी भविष्य की योजनाएँ तैयार की जा सके. बहरहाल उनका इरादा लोगों से सूर्यऊर्जा के बदले शुल्क वसूलना है.
इसका 50% हिस्सा सरकार को, 30% यूके के पैंशन फंड को, 10% भूखमरी से निपटने के लिए बने फंड को दिया जाएगा. 10%हिस्सा शोध में खर्च होगा और बाकी का 10% डुरान अपने पास रखेगी.
बाकी भगवान् मालिक .................
बाकी भगवान् मालिक .................
सार्थक जानकारी हेतु आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ReplyDeleteBHARTIY NARI .
धन्यवाद आपका
Deleteडुरान तो दूर की कौडी लाई हैं हमें भी कुछ सोचना पडेगा.:)
ReplyDeleteरामराम.
राम -राम ताऊ गंभीरता से सोचना पड़ेगा .......
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी
Deleteलाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteआभार प्रसन्न वदन जी
Deleteऐसा है तब तो हमें भी कुछ सोचना पड़ेगा... और उनको जरा कहिए ना कि सुर्य का वोल्टेज थोड़ा कम करें, यहां गरमी से हमारी हालत खराब हो रही है..
ReplyDeleteहा हा हा हा ....सही पकड़ा
Deleteमालकिन हैं तो ये भी करना होगा ..........धन्यवाद पधारने हेतु